आज हम इस लेख में बात करने जा रहे है एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बिजली दुर्घटनाओं से बचाव के उपाये के बारे में । क्या आप जानते हैं पूरे विश्व में हर साल 12 लाख लोगों की अकस्मात मृत्यु बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से होती हैं । आपको यह जान कर हैरानी होगी की भारत में बिजली से होनी वाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा सबसे ऊपर है। NCRB के आंकड़ो के अनुसार भारत में हर साल तकरीबन 12500 लोगों की मृत्यु बिजली के करंट लगने से ही होती हैं यानि तकरीबन 30 लोग प्रति दिन भारत में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं जो बहुत ही डराने वाला आंकड़ा है । इन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण जागरूकता की कमी है । इसलिए हमने सोचा क्यों न आज हम बिजली से दुर्घटनाओं से बचाव के बारे में चर्चा करेगें ।
भारत में पिछले एक दशक में तकरीबन 100000 लोंगों ने बिजली से होनी वाली दुर्घटनाओं में अपनी जान गवाई है । तकरीबन हर घंटे कोई अपनी जान बिजली के करंट लगने से अपनी जान गँवा रहा है । अगर हम सभी बिजली से जुड़े खतरों के प्रति थोड़ी जागरूकता और जानकारी रखें तो हम इन दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं । तो हम बिजली दुर्घटनाओं के कारणों और उनसे बचाव के बारे में चर्चा करेंगे ।
अपने घर की पुरानी व खराब तारों को बदलें:
घरों में ज्यादा कर करंट लगने की घटनाएँ पुरानी या खराब तारों के संपर्क में आने से या शॉर्ट सर्किट से होती हैं । अगर हम थोड़ा सा इसके प्रति जागरूक रहें तो इन दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है ।
आज कल हम हर दिवाली या त्योहार पर बिजली का कोई नया उपकरण जरूर खरीदते हैं ,जैसे वॉशिंग मशीन , कूलर, AC , TV इत्यादि । मगर यह भूल जाते हैं की हमारे घर की वाइरिंग की क्षमता नहीं बढ़ती जिससे धीरे -धीरे उनकी इन्स्युलेशन खराब होती रहती है ।
ऐसी बिजली की तारें जिनकी इन्स्युलेशन खराब हो चुकी है उनके संपर्क में आने से बिजली का झटका लग सकता है या एक तार के दूसरे तार से जुड़ जाने से शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग सकती है ।
बचाव के उपाये
- हर 6 महीने में घर की वायरिंग खास कर पुराने बने घरों की वायरिंग का निरीक्षण किसी अच्छे इलेक्ट्रिशियन के करवानी चाहिए।
- फटी पुरानी तारों को तुरंत बदल देना चाहिए । किसी भी प्रकार के खुले जोड़ बिजली की तारों में नहीं होने चाहिए ।
- जिन घरों की वाइरिंग 15-20 साल पुरानी है उनको बदल देना चाहिए क्योंकि उस वाइरिंग की क्षमता आज के उच्च विद्युत लोड वाले उपकरण का भार वहन नहीं कर सकती ।
- शॉर्ट सर्किट से बचने के लिए सुरक्षा उपकरणों जैसे MCB का प्रयोग करना चाहिए ।
टूटे या गिरे हुए बिजली के तारों से दूर रहें:
कई बार तूफान या बारिश से बिजली के तार टूट जाने से बिजली चली जाती है । अगर आपको कहीं बिजली की तार टूटी मिले तो उसके पास बिलकुल नहीं जाना चाहिए । किसी भी टूटे बिजली की तार को लाइव की मानना चाहिए क्योंकि टूटने के बाबजूद उसमें बहुत ज्यादा करंट होने की संभावना होती है ।
इस लिए ऐसी स्थिति में उस बिजली की तार से दूरी बना कर रखें और संबन्धित विद्युत विभाग को सूचित करें । खुद कभी भी उसको हटाने का प्रयास न करें ।
बाढ़ और बारिश में बिजली के खंबों से दूरी बनाएँ :
भारी बारिश या बाढ़ में भूल कर कभी भी बिजली के खंबों या विद्युत प्रतिष्ठापन जैसे ट्रान्सफॉर्मर के आस पास भूल कर भी नहीं जाना चाहिए । क्योंकि पानी विद्युत का एक अच्छा सुचालक होता है इसलिए वहाँ जरा जी भी लीकेज हुई तो हाई वोल्टेज का करंट लगने का जोखिम बढ़ जाता है । पानी से भीगे हुए किसी भी विद्युत उपकरण को छूने से बचें , जरा सी चूक बहुत महंगी पड़ सकती है ।
बिजली की लाइनों के पास पतंग न उड़ाएं:
हम सभी ने कभी न कभी बचपन में पतंग जरूर उड़ाई होगी , पतंगबाजी एक बड़ा ही रोमांचिक खेल है और भारत में कुछ विशेष मौकों पर जैसे बसंत पंचमी , लोहड़ी या मकर सक्रांति पर बहुत ज्यादा पतंग उड़ाये जाते हैं। परंतु हर साल पतंगों के बिजली की तारों के संपर्क में आने से सैंकड़ों की जान चली जाती है ।
इसलिए बिजली की तारों के पास पतंग नहीं उड़ानी चाहिए क्योकि पतंग उड़ाने के किए जो डोरी या माँझे का उपयोग होता है उसका पदार्थ कुछ हद तक विद्युत का सूचालक होता है और अगर वो गीला हो तो बड़ी तेजी से करंट प्रवाह हो सकता है।
कई बार तो ऐसा देखा गया है पतंग बिजली के तारों और खंबों से फस जाते हैं और उनके निकालने की कोशिश में कई लोगों ने अपनी जान गवाई है । इसलिए पतंग हमेशा खुले मैदान में ही उड़ना चाहिए ।
बिजली की लाइनों के पास पेड़ न लगाएँ :
बिजली की लाइनों के पास पेड़ लगाना सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही घातक होता है । हमें लग सकता है की जो पेड़ आपने उगाया है वो बिजली की तारों से दूर है मगर जब तेज हवाएँ चलती है जो पेड़ों की टहनियाँ तारों को छू सकती है जिस वजह से पेड़ से हो कर विद्युत पूरी जमीन पर प्रवाहित होने लगती है ।
उस समय अगर कोई जानवर या इंसान वहाँ आस पास हुआ तो उच्च विद्युत के संपर्क में आने से जान जाने का जोखिम निश्चित है ।
तीन-पिन प्लग का उपयोग करें:
कोशिश कीजिये की किसी भी बिजली के उपकरण को चलाने के लिए तीन -पिन प्लग का उपयोग करना चाहिए क्योंकि तीन-पिन प्लग सुरक्षा की दृष्ठि से अच्छे होते हैं जिनमें बिजली का झटका लगने का खतरा बहुत कम होता है ।
इस प्लग में तीन पिन होते हैं—दो पिन बिजली की आपूर्ति के लिए (फेज और न्यूट्रल) और तीसरा पिन अर्थिंग (ग्राउंडिंग) के लिए होता है जो घर की अर्थिंग से जुड़ा होता है । अगर किसी कारण से उपकरण के बाहरी आवरण में करंट आ जाता है तो वो अर्थ तार के जरिये जमीन में चला जाता है और इंसान को बिजली का झटका नहीं लगता ।
गीले हाथों से कभी भी बिजली के उपकरण न छूएँ :
यह गलती बहुत बार की जाती है हम गीले हाथों से बिजली के उपकरण जैसे बिजली के स्विच छू लेते हैं खास कर जब हम नहा कर या कपड़े धोकर हटते हैं । ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए क्योंकि पानी विद्युत का एक बहुत अच्छा सुचालक होता है और जैसे ही हम गीले बदन से किसी बिजली के उपकरण को छूते हैं तो बहुत तेज करंट हमारे शरीर से प्रवाह होने का खतरा रहता है ।
बिजली के स्विच के आस पास गैप होता है और गीले हाथों से स्विच छूने से उसके अंदर पानी जा सकता है जिस वजह से तेज बिजली का झटका लग सकता है । इसलिए कभी भी गीले हाथों से बिजली का कोई भी उपकरण छूने से बचना चाहिए।
पानी और विद्युत उपकरणों के बीच दूरी रखें:
हमें कई बार विद्युत उपकरण पानी के नजदीक इस्तेमाल करने की आवश्यकता पड़ती है जैसे वॉशिंग मशीन । हम पहले भी हम बता चूकें हैं की पानी विद्युत का एक अच्छा सुचालक होता है । अगर पानी वॉशिंग मशीन के सर्किट में चला जाए तो शॉर्ट सर्किट होने से आग लगने के साथ-साथ बिजली का झटका लगने का खतरा रहता है । इसलिए पानी के नजदीक बिजली के उपकरण का इस्तेमाल पूरी सावधानी से करना चाहिए ।
अच्छे गुणवत्तापूर्ण उपकरणों का उपयोग करें:
हमें हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले और ISI मार्क वाले विद्युत उपकरणों का उपयोग करना चाहिए। ISI (Indian Standards Institute) मार्क यह दर्शाता है कि कोई उपकरण भारतीय सुरक्षा मानकों के अनुसार है और उपयोग करने के लिए सुरक्षित है ।
सस्ते गुणवत्ता वाले बिजली उपकरण भले ही सस्ते होते हैं मगर सुरक्षित नहीं होते यह जल्दी ही खराब हो जाते हैं और इनसे हमेशा करंट लगने या आग लगने का खतरा बना रहता है । अगर आप ISI मार्क के साथ BEE (Bureau of Energy Efficiency) मार्क के उपकरण का उपयोग करते हैं तो यह आपकी 30% से 40% तक बिजली की बचत में भी सहायता कर सकते हैं ।
अनावश्यक उपकरणों को अनप्लग करें:
जब कोई उपकरण की जरूरत न हो तो उसे प्लग से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर रखें। यदि उपकरण लंबे समय तक प्लग में लगे रहते हैं, तो वे ओवरहीटिंग का कारण बन सकते हैं, जिससे आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
क्योंकि जब उपकरण स्टैंडबाय मोड में होते हैं (जैसे टीवी, चार्जर), तब भी वे बिजली खपत करते हैं। इसे ‘वैंपायर लोड’ या ‘घोस्ट लोड’ कहते हैं और इस वजह से बेकार में बिजली की खपत बढ़ती है ।
उदाहरण: के लिए एक टीवी स्टैंडबाय मोड में प्रति वर्ष 100-200 यूनिट बिजली की खपत कर सकता है।
विद्युत सर्किट को ओवरलोड न करें:
जैसे-जैसे भारत में आम जनता की आमदनी सुधरी है वैसे -वैसे हमारा रहन सहन भी सुधरा है । जिस वजह से ज्यादा अधिक विद्युत लोड वाले उपकरणों का उपयोग भी बढ़ गया है । कई बार हम एक ही विद्युत सर्किट में एक से ज्यादा विद्युत उपकरण लगा देते हैं जिस वजह से उस सर्किट में उसकी वहन करने की क्षमता से ज्यादा करंट बहने से वह गर्म हो जाता है और आग लगने और शॉर्ट सर्किट होने का खतरा बन जाता है ।
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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, घरेलू सर्किट की क्षमता 15 एम्पीयर तक करंट को वहन करने की होती है। इसे ध्यान में न रखने पर ओवरलोडिंग हो सकती है। जिससे न केवल उस सर्किट से जुड़े उपकरणों को नुकसान पहुंचता है बल्कि जान -माल का नुकसान भी हो सकता है ।
The Economic Times of India के अनुसार 2024 में सिर्फ दिल्ली में ओवरहीटिंग या शॉर्ट सर्किट से लगने वाली आग की घटनाओं में पिछले साल से 37% का इजाफ़ा हुआ है ।
ओवरलोडिंग से बचाव के उपाय:
- अपने घरों की वाइरिंग सर्किट में स्वचालित सर्किट ब्रेकर (MCB) लगाने चाहिए , यह MCB ओवरलोडिंग या शॉर्ट सर्किट होने पर अपने आप बिजली की आपूर्ति बंद कर देते हैं ।
- ज्यादा बिजली की खपत करने वाले उपकरण जैसे हीटर ,एयर कंडीशनर को अलग -अलग सर्किट में लगाना चाहिए ।
- सॉकेट में मल्टीप्लग या एक्सटेंशन का अधिक उपयोग न करें।
गर्मी पैदा करने वाले विद्युत उपकरणों के लिए उचित वेंटिलेशन रखें :
बिजली से चलने वाले कुछ उपकरण ऐसे होते हैं जो दूसरों से ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं जैसे कंप्यूटर, टीवी, मॉनिटर रेफ्रिजरेटर । अगर यह उपकरण जहाँ रखें है वहाँ पर्याप्त वेंटिलेशन न हो तो उपकरण जल्दी ठंडे नहीं हो पाते जिस वजह उपकरण ओवर हीट हो जाते हैं। इससे उपकरण के खराब होने, आग लगने का खतरा बढ़ जाता है ।
उचित वेंटिलेशन बनाये रखने के लिए कुछ सुझाव :
- ज्यादा गर्मी पैदा करने वाले उपकरण और दीवार के बीच कम से कम 2-3 इंच की जगह रखें। खिड़कियां खोल कर कमरे में एयर फ्लो बनाए रखें ताकि उपकरण को जल्दी ठंडा होने में मदद मिले ।
- धूल और गंदगी उपकरणों की गर्मी को बाहर जाने से रोकती है, इसलिए उपकरणों की नियमित सफाई करें।
- बहुत ज्यादा गर्मी के दिनों में प्राकृत वेंटिलेशन के साथ -साथ जरूरत पड़ने पर ज्यादा गर्मी पैदा करने वाले उपकरणो को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनिंग या कूलिंग फैन का प्रयोग किया जा सकता है ।
निष्कर्ष:
बिजली दुर्घटनाओं से बचाव के उपाये अपनाकर हम न केवल अपनी बल्कि अपने परिवार और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। थोड़ी सी सतर्कता और सही जानकारी बड़े हादसों को टाल सकती है। इसलिए, आज ही इन उपायों को अपनाएं और दूसरों को भी जागरूक करें। सुरक्षित रहिए, सतर्क रहिए .
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न )
बिजली दुर्घटनाएं क्या होती हैं, और ये क्यों होती हैं?
बिजली दुर्घटनाएं वे घटनाएं होती हैं जो करंट लगने, शॉर्ट सर्किट, या खराब विद्युत उपकरणों के कारण होती हैं। इनसे बचने के लिए सही तरीके से वायरिंग और उपकरणों की नियमित जांच करना बेहद जरूरी है। बिजली दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय अपनाने से आप इन घटनाओं को रोक सकते हैं।
क्या मैं घर पर बिजली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कुछ कर सकता हूं?
जी हां, घर पर आप उपकरणों को सही तरीके से इस्तेमाल करके, खराब तारों को बदलवाकर और ग्राउंडिंग सिस्टम को नियमित रूप से चेक करके बिजली दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। बिजली दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय जैसे सर्किट ब्रेकर लगवाना भी मददगार है।
बच्चों को बिजली दुर्घटनाओं से कैसे बचाया जा सकता है?
बच्चों को बिजली के उपकरणों और सॉकेट्स से दूर रखना चाहिए। सॉकेट्स पर सुरक्षा कवर लगाएं और बच्चों को विद्युत सुरक्षा के महत्व के बारे में समझाएं।
क्या बरसात के मौसम में बिजली दुर्घटनाओं का खतरा ज्यादा होता है?
हां, बरसात के मौसम में गीले हाथों से स्विच या उपकरणों को छूने से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। बरसात के दिनों में बिजली दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय अपनाने, जैसे गीले स्थानों पर विद्युत उपकरण न रखना, बहुत जरूरी है।