नमस्कार पाठकों हम अपने ब्लॉग में बिजली चोरी से संबन्धित बहुत से विषयों पर चर्चा कर चुके हैं जैसे कि बिजली चोरी क्या होती है , कोन -कोन से कृत्य बिजली चोरी अंतर्गत आते हैं और बिजली चोरी को पकड़ने और जुर्माना लगाने का अधिकार किस का होता है । इस लेख में हम विस्तार से जानेगें कि कैसे विद्युत अधिनियम 2003 की 126 के तहत बिजली चोरी के मामलों की पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है ? हमें पूरा विश्वास है कि आपको इस लेख में जरूर कुछ नया जानने को मिलेगा जो भविष्य में शायद आपके काम आ सकता है ।
अगर आप हमारे साथ पहले से जुड़े हैं तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे कि बिजली चोरी के मामले दो तरह के होते हैं । जिन पर भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 126 और भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जाती है । अगर आपकी अवधारणा बिजली चोरी के मामले में स्पष्ट नहीं है तो नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करके पहले आप हमारे द्वारा बिजली चोरी के ऊपर लिखे विस्तृत लेख को पढ़ ले ताकि आपको सारी चीज़े समझने में आसानी हो ।
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अगर आसान भाषा में कहें तो बिजली चोरी के मामलों में धारा 126 वहाँ लगेगी जहां किसी के द्वारा अनजाने में अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग से बिजली का उपयोग किया जा रहा है और यह करने के पीछे उसका इरादा बेईमानी करने का नहीं था । वहीं दूसरी और धारा 135 वहाँ लगेगी जहाँ बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग बेईमानी की मंशा से किया जा रहा हो । चलिये विस्तार में जानते हैं कि बिजली चोरी के मामले में कैसे पूरी कार्यवाही अमल में लायी जाती है ।
विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत बिजली चोरी के मामलों में अपनायी जाने वाली पूरी प्रक्रिया को हमने चार मुख्य भागों में विभाजित किया है ताकि आप पूरी प्रक्रिया को आसानी से समझ पायें :
धारा 126 के तहत बिजली चोरी का निरीक्षण या अन्वेषण :
विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत कोई बिजली चोरी की सूचना या शिकायत मिलने के उपरांत निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा अपने दल के साथ छापा मारा कर किसी भी परिसर का उसके मालिक या अधिभोगी या फिर प्रतिनिधि की उपस्थिति में निरीक्षण किया जा सकता है । बिजली चोरी के मामलों में निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा स्वत: संज्ञान ले कर भी कार्यवाही की जा सकती है ।
प्रावधानों के अनुसार निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा जिस माध्यम के द्वारा बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग हो रहा हो, जहाँ तक संभव हो सके उसकी फोटोग्राफ/वीडियोग्राफी कर सकता है ।
किसी परिसर या स्थान अथवा दस्तावेजों के निरीक्षण या अन्वेषण के दौरान अगर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि संबन्धित उपभोक्ता विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग में लिप्त है तो उनके द्वारा एक निरीक्षण रिपोर्ट (Inspection Report) तैयार की जाती है ।
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निरीक्षण रिपोर्ट (Inspection Report) को तैयार करना ?
बिजली चोरी के मामले में लिप्त पाये जाने पर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की जाती है जिसमे बिजली के अनधिकृत उपयोग के लिए कनेक्टेड लोड विवरण, बिजली के मीटर और मीटर सील की स्थिति के साथ बिजली के अनधिकृत उपयोग को प्रमाणित करने वाले साक्ष्य का विवरण अंकित किया जाता है ।
उक्त निरीक्षण रिपोर्ट को निर्धारण अधिकारी और उसकी टीम के द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है और मौके पर उपलब्ध गवाहों के भी हस्ताक्षर लेने के साथ -साथ संबन्धित परिसर के मालिक या उसके उपस्थित प्रतिनिधि के हस्ताक्षर ले कर उसको निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति सौंपी जाती है ।
अगर उपभोक्ता या उसका प्रतिनिधि निरीक्षण रिपोर्ट लेने से माना करता है तो उस स्थिति में निर्धारण अधिकारी द्वारा उक्त निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति को संबन्धित परिसर के बाहर चस्पा किया जाएगा और दूसरी प्रति को पंजीकृत डाक द्वारा उपभोक्ता को भेजा जाएगा ।
धारा 126 के तहत बिजली चोरी का अनंतिम मूल्यांकन (Provisional Assessment )
इन्सपैक्शन या निरीक्षण के 48 घंटो के अंदर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा विद्युत अधिनियम की धारा 126 के प्रावधानों के तहत बिजली चोरी के जुर्माने व देय राशि का अनंतिम रूप से आंकलन कर संबन्धित उपभोक्ता को अनंतिम मूल्यांकन आदेश (Provisional Assessment Order) को जारी किया जाएगा। अगर आप जानना चाहते हैं की नियमानुसार बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन कैसे किया जाता है तो नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर के विस्तृत लेख पढ़ सकते हैं ।
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अनंतिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Provisional Assessment Order ) में क्या होता है ?
अनंतिम मूल्यांकन आदेश (Provisional Assessment Order ) में निम्नलिखित बिन्दु होना आवश्यक है :
- प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किए गए निरीक्षण से संबंधित मामले का ब्योरा जिसमें दिनांक और समय दर्शाया गया हो।
- निरीक्षण के दौरान निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा पाया गया बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग के कृत्य का व्योरा ।
- अनंतिम मूल्यांकन या जुर्माने की विस्तृत गणना का ब्योरा ।
- उपभोक्ता को इस बात की सूचना कि अनंतिम मूल्यांकन आदेश के जारी होने के सात दिनों (7 Days) के भीतर या तो बोर्ड के कार्यालय में सारी अनंतिम राशि का भुगतान कर के मामला खतम कर सकता है या फिर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) के समक्ष लिखित में आपत्तियां दर्ज करने का अधिकार होता है ।
उपभोक्ता की आपत्तियों का अवलोकन व समीक्षा करना :
निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा धारा 126 के तहत अगर एक बार अनंतिम मूल्यांकन आदेश (Provisional Assessment Order ) जारी हो जाए तो संबन्धित उपभोक्ता के पास दो रास्ते होते हैं या तो सात दिनों के भीतर वह अनंतिम मूल्यांकन आदेश को स्वीकार कर जो जुर्माना लगाया है उसकी सारा भुगतान कर दे या फिर 7 दिनों के भीतर लिखित में संबन्धित निर्धारण अधिकारी के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज करवाए ।
आपत्तियाँ प्राप्त होने के पश्चात 7 दिनों के अन्दर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) द्वारा उनका अवलोकन व समीक्षा करनी पड़ती है । तथ्यों के आधार में अगर निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि किसी भी तरह का कोई बिजली का अनाधिकृत उपयोग नहीं हुआ है तो सभी तथ्यों और कारणो को रिकॉर्ड में लेने के बाद संबन्धित उपभोक्ता को सूचना सहित मामले को वहीं खतम किया जा सकता है ।
अगर उपभोक्ता को लगता है कि बिजली चोरी के अवधि का निर्धारण ज्यादा किया गया है और अगर वह बिजली चोरी के वास्तविक अवधि का साक्ष्य प्रस्तुत कर सके तो निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) की संतुष्टि के पश्चात बिजली चोरी की अवधि को कम करके जुर्माने की राशि को कम किया जा सकता है ।
अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) जारी होना:
निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) के द्वारा सभी आपत्तियों का अवलोकन व समीक्षा करने के पश्चात भी यदि मूल्यांकन अधिकारी का अभी भी मानना है कि बिजली का अनधिकृत उपयोग हुआ है तो अनंतिम मूल्यांकन आदेश (Provisional Assessment Order ) के जारी होने के तीस दिनों (30 days) के भीतर अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) पारित करना पड़ता है ।
लेकिन यह अनिवार्य है की अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) जारी करने से पहले संबन्धित उपभोक्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया जाए ताकि उपभोक्ता द्वारा रखे गए तथ्यों पर उचित विचार किया जा सके ।
अगर संबन्धित उपभोक्ता जुर्माने की आंकलन की गयी राशि से संतुष्ट है और जुर्माने को जमा करवाने के लिए राजी है तो निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) संबन्धित उपभोक्ता से लिखित में सहमति ले कर भी अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) जारी कर सकता है ।
अगर सबंधित उपभोक्ता व्यक्तिगत सुनवाई पर उपस्थित नहीं होता तो निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) को अधिकार है मामले को एकपक्षीय (exparty) आगे बढ़ा सके ।
अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) में क्या होता है ?
संबन्धित उपभोक्ता द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई में रखे गए तथ्यों पर विचार करने के बाद भी निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) को लगता है कि बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग हुआ है तो अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) जारी किया जाता है उसमें निम्नलिखित जानकारी होना आवश्यक है :
- बिजली चोरी/ बिजली के अनधिकृत उपयोग के जुर्माने की गणना की पूरी डीटेल ।
- फ़ाइनल असेस्मेंट ऑर्डर में तर्कों के साथ साफ-साफ अंकित किया जाएगा कि बिजली चोरी /अनधिकृत उपयोग का मामला प्रथम दृष्टया स्थापित है या नहीं।
- अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) में निरीक्षण (Inspection) रिपोर्ट का संक्षिप्त विवरण के साथ साथ सबंधित अधिभोगी/उपभोक्ता द्वारा किया गया प्रस्तुतीकरण या व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान व्यक्ति अपने लिखित उत्तर और मौखिक प्रस्तुतिकरण का ब्योरा अंकित होना जरूरी है । और क्यों उपभोक्ता द्वारा प्रस्तुत की गयी आपत्तियाँ या तथ्यों को स्वीकार व अस्वीकार किया गया उसके कारण अंकित करना अतिआवश्यक है ।
- अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) प्राप्त होने के पश्चात 7 दिनों के भीतर जुर्माने राशि को जमा करवाने की सूचना ।
- इस बात जानकारी की अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) मिलने के पश्चात उपभोक्ता भुगतान करने में देरी करता है तो उसको 16 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर (प्रत्येक छः माह पर चक्रवृध) से अतिरिक्त भुगतान करना होगा ।
- इस बात की जानकारी की उपभोक्ता इस अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश के खिलाफ किस अपील प्राधिकारी(Appellate Authority) के समक्ष अपील कर सकता है ।
ध्यान रहे अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment order) मिलने के सात दिनों (7 days ) के अंदर संबन्धित उपभोक्ता को जुर्माने की राशि का भुगतान करना होगा । परन्तु HPSEBL की स्वीकृति के बाद तो जुर्माना जमा करवाने की अंतिम तिथि को बढ़ाया जा सकता या किस्तों में भुगतान की अनुमति दी जा सकती है ।
धारा 126 के तहत जारी किए गए अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) के खिलाफ कहाँ अपील की जा सकती है ?
अगर संबन्धित उपभोक्ता धारा 126 के तहत जारी किए गए अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) से किसी कारण से संतुष्ट न हो तो उसे भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 127 के तहत अपील प्राधिकारी के समक्ष 30 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार है । परंतु उसे अपील करने से पहले अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) के 50% राशि को जमा करवाना पड़ेगा ।
अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) के विरुद्ध कोई भी अपील स्वीकार नहीं की जा सकती अगर वह अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) दोनों पार्टियों की सहमति से पारित किया गया हो।
बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (धारा 126) के मामलों में अपील प्राधिकारी कोन होता है ?
भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 127 के तहत राज्य सरकार के पास अपील प्राधिकारी को नामित करने की शक्तियाँ है । हिमाचल प्रदेश हिमाचल ऊर्जा मंत्रालय की अधिसूचना क्रमांक MPP-A(3)-3/2003 dated shimla 2 14th june 2005 के अनुसार राज्यपाल द्वारा राज्य के संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) को बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (धारा 126) के मामलों के लिए अपील प्राधिकारी नामित किया गया है ।
अपील प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर अपील प्राधिकारी(Appellate Authority) द्वारा मामले का निपटारा कर अपीलीय आदेश( Appellate Order) पारित कर आदेश की प्रतियाँ अपीलकर्ता व निर्धारण अधिकारी (Accessing Officer) को भेजी जाती हैं और अपीलीय प्राधिकारी का आदेश अंतिम होगा ।
अगर अपील प्राधिकारी(Appellate Authority) द्वारा अपीलीय आदेश( Appellate Order) में बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग का मामला स्थापित नहीं होता है तो विद्युत विभाग संबन्धित उपभोक्ता के खिलाफ आगामी कोई भी कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी और उसके द्वारा जमा की गयी जुर्माने की राशि को 16 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर (प्रत्येक छः माह पर चक्रवृध) से संबन्धित उपभोक्ता को वापिस करना होगा ।
अगर अपील प्राधिकारी(Appellate Authority) द्वारा अपीलीय आदेश( Appellate Order) में बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग का मामला स्थापित हो जाता है तो 30 दिनों के भीतर संबन्धित उपभोक्ता को बचे हुए जुर्माने की राशि को जमा करवाना पड़ेगा ।
क्या होगा अगर मूल्यांकन की गई राशि के भुगतान में चूक की जाती है ?
अगर उपभोक्ता अन्तिम मूल्यांकन/निर्धारण आदेश (Final Assessment Order ) या अपीलीय आदेश( Appellate Order) के जारी होने के बाद भी जुर्माने की राशि को जमा नहीं करवाता है तो 15 दिनों का नोटिस दे कर उसकी विद्युत आपूर्ति काट दी जाएगी । और जब तक वह पूरे जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं कर देता तब तक राशि पर 16 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर (प्रत्येक छः माह पर चक्रवृध) ब्याज का भुगतान भी करना होगा ।
निष्कर्ष :
बिजली चोरी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक गंभीर समस्या भी है। भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 126 के तहत बिजली चोरी के मामलों की पूरी प्रक्रिया को जानना हर उपभोक्ता के लिए आवश्यक है, ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। इस लेख में हमने धारा 126 के तहत बिजली चोरी की पहचान, निरीक्षण, मूल्यांकन और अपील की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया है। हमारी पूरी उम्मीद है कि इस जानकारी से आप न केवल अपने ज्ञान को बढ़ा सकेंगे, बल्कि अपने समुदाय को भी इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूक कर सकेंगे
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):
विद्युत अधिनियम की धारा 126 क्या है?
विद्युत अधिनियम की धारा 126 भारतीय कानून के तहत बिजली का या अनधिकृत उपयोग के मामलों की जांच और मूल्यांकन से संबंधित प्रावधान है।
धारा 126 के तहत बिजली चोरी की पहचान कैसे होती है?
बिजली चोरी की पहचान निरीक्षण अधिकारी द्वारा की जाती है, जो किसी परिसर का निरीक्षण करके अनधिकृत उपयोग के सबूत एकत्रित करता है।
अनंतिम मूल्यांकन आदेश (Provisional Assessment order ) क्या है?
अनंतिम मूल्यांकन आदेश वह प्रारंभिक आदेश है, जिसे निरीक्षण के बाद जारी किया जाता है, जिसमें बिजली चोरी के लिए लगने वाली जुर्माने की राशि का विवरण होता है।
अंतिम मूल्यांकन आदेश (Final Assessment Order) कब जारी होता है?
सभी आपत्तियों और समीक्षाओं के बाद, अनंतिम मूल्यांकन आदेश के 30 दिनों के भीतर अंतिम मूल्यांकन आदेश जारी किया जाता है।
क्या उपभोक्ता अंतिम मूल्यांकन आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है?
हां, उपभोक्ता भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 127 के तहत 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है, बशर्ते पहले उसे अंतिम मूल्यांकन आदेश की 50% राशि जमा करनी होगी।
अगर उपभोक्ता जुर्माना राशि का भुगतान नहीं करता है तो क्या होगा?
जुर्माना राशि का भुगतान न करने पर 15 दिनों का नोटिस जारी किया जाएगा, और भुगतान न करने पर उसकी बिजली आपूर्ति काट दी जाएगी। साथ ही, बकाया राशि पर 16% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगेगा।
निरीक्षण रिपोर्ट में क्या जानकारी होती है?
निरीक्षण रिपोर्ट में बिजली के अनधिकृत उपयोग के कृत्य का विवरण, कनेक्टेड लोड, मीटर और मीटर सील की स्थिति, और प्रमाणित साक्ष्यों का विवरण होता है।
अनंतिम मूल्यांकन आदेश को स्वीकार करने के बाद क्या होता है?
उपभोक्ता अनंतिम मूल्यांकन आदेश को स्वीकार करके जुर्माना राशि का भुगतान कर सकता है, जिससे मामला समाप्त हो जाएगा।
बिजली चोरी के मामलों में अपील प्राधिकारी कौन होता है?
राज्य सरकार द्वारा नामित संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) बिजली चोरी के मामलों में अपील प्राधिकारी होते हैं।
धारा 126 के तहत निरीक्षण कब किया जाता है?
धारा 126 के तहत निरीक्षण तब किया जाता है जब कोई बिजली चोरी की सूचना या शिकायत प्राप्त होती है, या निर्धारण अधिकारी स्वयं संज्ञान लेते हैं।
बिजली चोरी और उस पर लगाए जाने वाले जुर्माने की Assessment कैसे करते हैं तथा चोरी से संबंधित जनकारी प्रदान करने वाल बहुत ही महत्वपूर्ण लेख। उम्मीद है इससे बहुत से लोगों को लाभ होगा।
Thanks to Sh Yugal ji
बिजली चोरी पर कितना जुर्माना होता हैं क्या कोई मुझे सही जानकारी दे सकता हैं ।
बिजली चोरी का ।।
कितने किलोवाट चोरी की गई उसका अलग होता हैं कृपया कर बताए
बिजली चोरी के संदर्भ में जुर्माना कैसे लगाया जाता है और जुर्माने की गणना कैसे की जाती है उस पर पहले से ही एक विस्तृत पोस्ट लिखी जा चुकी है जिसका लिंक नीचे दिया है । फिर भी अगर इसे पढ़ने के बात कोई शंका रह जाए तो कृपा करके कमेंट करें हम समाधान करने की पूरी कोशिश करेंगे ।
https://himvidyutsarthi.in/how-to-calculate-electricity-theft-penality/
Hello sir mera niji nalkup ka 3hp moter connection nhi hua hai jisame bijli vibhag Wale janch me aye the jisame mera kebal kat le gaye aur FIR ke liye bole hai Mai kya Karu video recording bhi kiye hai sir salah dijiye
संबन्धित विभाग से बात कीजिए और अगर आपने कोई गलती की है तो फ़ाइन भर कर मुकदमें से बच सकते हैं । अगर आप मुक़द्दमा लड़ना चाहते हो तो और विद्युत अधिनियम की धारा 135 के अंतर्गत अगर आपके विरुद्ध एफ़आईआर हो गयी है तो अच्छा होगा की आप अग्रिम ज़मानत याचिका (Anticipatory Bail Petition) दायर कर लें । क्योंकि धारा 135 के अंतर्गत पुलिस द्वारा गिरफ्तारी हो सकती है । सही विधिक जानकारी के लिए किसी अच्छे वकील से संपर्क करें ।
Sir vigilance walo ne case Banya tha 24 tarik ko or na koi report mujhe di h na hi koi notice abhi Tak aaya h ,kya aap meri isme madad kar sakte h sahi jankari dekar .mere man me thoda dar betha huaa h
Barajesh ji Unauthorized use of electricity or theft of electricity में जो अधिकारी जो अधिकृत हो उसको Indian Electricity Act (ammended) 2007 के तहत सारी प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है । जैसा इस पोस्ट में बताया है इसमें संबन्धित उपभोक्ता को पर्सनल हेयरिंग में बुलाना भी अनिवार्य है ताकि उसका पक्ष भी सुना जा सके । अगर किसी अधिकारी द्वारा जो बिजली की चोरी पकड़ने के लिए अधिकृत हो और उसके द्वारा पूरी प्रक्रिया का पालन न किया गया हो तो इस से उनका ही केस कमजोर पड़ता है । आप कोई लिखित में नोटिस आने की प्रतीक्षा करें और नोटिस मिलने के बाद अपना पक्ष सही से रखें । नोटिस मिलने के बाद आप विधिक किसी अच्छे वकील से विधिक सलाह भी ले सकते हैं।
और कृपा करके आप अपना पर्सनल कांटैक्ट नंबर कमेंट में सांझा न करें क्योंकि वह किसी के द्वारा miss use किया जा सकता है । कांटैक्ट नंबर सिर्फ ईमेल पर ही सांझा करे।
Sir me mp ke narsingpur jile se hu or meri choti si welding ki shop h gaon me .