जब भी हम नया बिजली का कनेक्शन लेते हैं तो उसमें ज्यादा कर तीन तरह के शुल्क (charges) लगते हैं । जैसे कि विद्युत सिक्योरिटी (ACD) , इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) और तीसरा शुल्क है सर्विस कनेक्शन चार्जेज़ (Service Connection Charges )। इनमें से Infrastructure Development Charges (IDC) एक ऐसा शुल्क है जो आम तौर पर समझ नहीं आता कि आखिर यह लिया ही क्यों जाता है । इस लेख में हम विस्तार से इस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) के बारे में जानेगें । हमें पूरा यकीन है कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको IDC के मामले में आपको कभी कोई संशय नहीं रहेगा ।
पिछले लेख में हमने जाना था कि जब भी हम नया विद्युत कनेक्शन लेते हैं तब उस विद्युत कनेक्शन को आपके घर तक पहुंचाने में बिजली विभाग का जो भी खर्च आता है उसके लिए विद्युत विभाग (HPSEBL ) द्वारा आपसे सर्विस कनेक्शन चार्जेज़ लेता है ।
फिर मन में स्वाभाविक ही प्रश्न उठ सकता है कि जब बिजली को घर तक पहुंचाने के लिए पहले ही उपभोक्ता ने सारा खर्च सर्विस कनेक्शन चार्जेज़ के रूप में दे दिया है तो फिर क्यों उसको इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) देने पड़ते हैं ।
विद्युत विभाग एक विद्युत कनेक्शन के लिए क्या -क्या खर्च उपभोक्ता से वसूल सकता है उसको जानने के लिए हमें थोड़ा सा हिमाचल प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग (विद्युत आपूर्ति हेतु व्यय की वसूली) विनियम, 2012 को समझना पड़ेगा । यह विनियम ही बताता है कि विद्युत विभाग किस तरह के खर्च उपभोगता से वसूल कर सकता है ।
हिमाचल प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग (विद्युत आपूर्ति हेतु व्यय की वसूली) विनियम, 2012 के विनियम 4 के तहत विद्युत विभाग आपके घर या परिसर तक विद्युत सर्विस लाइन बिछाने की जो लागत आएगी उसको वसूल करने का अधिकार रखता है । परंतु यह खर्च आपका निजी खर्च (Indivisual Expense) होता है जो केवल आपके विद्युत कनेक्शन से जुड़ा होता है ।
जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) इसी HPERC (Recovery of Expenditure for Supply of Electricity) Regulations, 2012) के विनियम 5 के तहत वसूले जाते हैं।
(2) इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) क्या होते हैं ?
Infrastructure Development Charges (IDC) वो शुल्क हैं जो बिजली कंपनी द्वारा समस्त बिजली के बुनियादी ढांचे (Distribution System) जैसे ट्रांसफार्मर, बिजली के खंबे , बिजली की वितरण लाइनें , और अन्य उपकरणों आदि के विकास के लिए वसूले जाते हैं। यह वह लागत है जो विद्युत बोर्ड को बिजली के पूरे बुनयादी ढाँचे ( overall Distribution System) को सुचारु रूप से बनाये रखने के लिए आयी है या भविष्य में आएगी ।
जैसे जब कोई अपने बिजली का कनेक्शन लेता है तो विद्युत आपूर्ति के लिए बिजली के खंबे से उसके विद्युत मीटर तक सर्विस तार को बिछाया जाता है उसका शुल्क सर्विस कनेक्शन चार्जेज़ के रूप में लिया जाता है । परंतु उस बिजली के खंबे तक भी बिजली पहुंचाने के पीछे विद्युत विभाग का पूरा Distribution System होता है जैसे ट्रांसफॉर्मर, सब-स्टेशन, बिजली की लाइनें इत्यादि ।
जैसे – जैसे नये बिजली के कनेक्शन लिये जाते रहेंगे वैसे -वैसे पूरे बिजली के बुनियादी ढांचे पर भार बढ़ता जाता है और विद्युत भार (Electrical Load) की माँग को पूरा करने के लिये विद्युत विभाग को अपने बिजली के बुनियादी ढाँचे की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है ।
उपभोक्ता जब नया विद्युत कनेक्शन लेते हैं या अपना विद्युत लोड बढ़ाते हैं तो विद्युत विभाग के इस Distribution System का लाभार्थी होता है इसलिए उसको इस विद्युत ढाँचे के विकास में होने वाले खर्च को भी वहन करना पड़ता है जिसको इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) के रूप में मानक दरों पर वसूला जाता है ।
IDC किस तरह वसूला जाता है?
विद्युत विभाग IDC को normative rates यानी तयशुदा मानक दरों पर वसूलता है, जो दरें बिजली नियामक आयोग (Commission) द्वारा मंज़ूर की जाती हैं।
ये दरें निम्नलिखित आधार पर तय होती हैं:
- कनेक्टेड लोड या कॉन्ट्रैक्ट डिमांड
- वोल्टेज लेवल
- लोड की प्रकृति (घरेलू, व्यवसायिक, औद्योगिक आदि)
- इलाका (शहरी या ग्रामीण)
- टैरिफ क्लासिफिकेशन
- स्लैब (जैसे 0-20kW, 20-50kW आदि)
(3) Service Line और Distribution System में क्या फर्क है?
यह सवाल बहुत बार मन में आता है – “Service Line का खर्च और Infrastructure Development Charges (IDC) अलग कैसे हैं?” आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं :
मान लीजिए आपका घर एक मोहल्ले में है और आपको वहाँ एक बिजली का कनेक्शन लेना है । तो सोचिये अब वहां तक बिजली कहाँ से पहुंचेगी ?
Distribution System (जिस पर IDC लगता है):
आपके घर तक बिजली विद्युत विभाग के Distribution System के जरिये पहुँचती है । यह वह सारा ढांचा है जो पूरे इलाके या कॉलोनी तक बिजली लाने के लिए तैयार किया जाता है।
इसमें शामिल होता है:
- Distributing mains (मुख्य बिजली लाइन)
- ट्रांसफॉर्मर
- विद्युत सबस्टेशन
- Electric lines (Service line को छोड़कर)
- Poles, switches, और protection devices
यह ढांचा हर उपभोक्ता के लिए साझा (shared) होता है। इसलिए इसका खर्च इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) के रूप में मानक दरों के रूप में वसूला जाता है ताकि विद्युत विभाग बिजली की निरन्तर बढ़ती हुई मांग को पूरा करने में सक्षम रह सके ।
Service Line (जिसका खर्च अलग से होता है):
Service Line वो तार होती है जो ट्रांसफॉर्मर या बिजली के खंबे से आपके घर या परिसर के मीटर तक सीधे जाती है।यह केवल आपके विद्युत कनेक्शन के लिए बिछाई जाती है, इसलिए इसका खर्च Service Line Charges या Estimate Based Cost के रूप में अलग से सिर्फ आपसे व्यक्तिगत रूप से लिया जाता है।
इस फर्क को समझना बहुत ज़रूरी है कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) साझा विद्युत ढांचे का खर्च है, और Service Line आपका निजी कनेक्शन – दोनों का खर्च अलग-अलग होता है।
(4) IDC देने से कौन-कौन बच सकता है?
जब भी कोई नया विद्युत कनेक्शन लेता है या अपने बिजली ले लोड को बढ़ाने का आवेदन देता है तो सभी को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) का भुगतान करना पड़ता है । परंतु कुछ विशेष परिस्थियों में IDC का भुगतान नहीं करना पड़ता है :
Temporary Connections (अस्थायी विद्युत कनेक्शन):
- अस्थायी विद्युत कनेक्शन (Temporary Connections) के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) नहीं लगते ।
- अस्थायी विद्युत कनेक्शन के लिये सिर्फ विद्युत सिक्योरिटी (ACD) और सर्विस कनेक्शन चार्जेज़ का ही भुगतान करना पड़ता है ।
घर के बिजली कनेक्शन का नाम बदलवाना है? तो IDC नहीं देना होगा:
अगर घर का बिजली कनेक्शन किसी रिश्तेदार के नाम पर ट्रांसफर (नाम बदलवाना) करवाया जाता है तो ऐसे मामलों में IDC (Infrastructure Development Charges) नहीं लिया जाएगा, लेकिन इसकी कुछ शर्तें है :
किसे “रिश्तेदार” माना जाएगा?
नियम के मुताबिक, नीचे दिए गए लोग “रिश्तेदार” माने जाते हैं:
- पति या पत्नी
- भाई या बहन
- पति/पत्नी के भाई या बहन
- माता-पिता के भाई या बहन (चाचा-चाची, मामा-मामी, फूफा-बुआ आदि)
- दादा-दादी, नाना-नानी, बेटे-बेटी, पोता-पोती जैसे सीधे पूर्वज या वंशज
- पति/पत्नी के भी सीधे पूर्वज या वंशज
- ऊपर बताए गए किसी भी रिश्तेदार के पति या पत्नी
(5) निष्कर्ष :
तो अब जब आपने पूरा लेख पढ़ लिया है, तो आप समझ ही गए होंगे कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) कोई बेवजह की वसूली नहीं है, बल्कि ये उस बिजली के बड़े डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (Distribution System) का हिस्सा है, जिससे आपका घर भी जुड़ता है।
जहां Service Line Charges सिर्फ आपके घर तक बिजली पहुंचाने के का खर्च होता है, वहीं IDC पूरे मोहल्ले, इलाके या कॉलोनी तक बिजली पहुंचाने वाली व्यवस्था का खर्च होता है, जो सबके लिए जरूरी है। अगर इस विषय में आपको कोई भी संशय रह गया है तो आप बेझिजक पूछ सकते हैं ।
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(6) FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ):
IDC क्या होता है?
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) वो शुल्क हैं जो बिजली कंपनी द्वारा समस्त बिजली के बुनियादी ढांचे (Distribution System) जैसे ट्रांसफार्मर, बिजली के खंबे , बिजली की वितरण लाइनें , और अन्य उपकरणों आदि के विकास के लिए वसूले जाते है ।
क्या इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) और सर्विस लाइन खर्च एक ही चीज़ हैं?
नहीं, दोनों अलग हैं।
Service Line Charges सिर्फ आपके घर तक बिजली की लाइन पहुंचाने का खर्च होता है।
IDC पूरे इलाके या कॉलोनी तक बिजली पहुंचाने वाले पूरे सिस्टम का खर्च होता है।
क्या हर उपभोक्ता को IDC देना पड़ता है?
ज़रूरी नहीं। कुछ मामलों में IDC नहीं लिया जाता, जैसे: अस्थायी (temporary) कनेक्शन के मामले में और जब घर का कनेक्शन परिवार के किसी सदस्य के नाम ट्रांसफर किया जा रहा हो (जैसे विरासत में मिला हो)।
IDC क्यों जरूरी है?
ताकि बिजली का मजबूत ढांचा (Infrastructure) बन सके – जैसे कि ट्रांसफार्मर, सब-स्टेशन, मेन लाइन आदि। ये सब मिलकर हर घर तक बिजली पहुंचाने में मदद करते हैं।
क्या IDC किसी पर मनमानी वसूली है?
बिल्कुल नहीं। ये एक नियमित और जरूरी खर्च है जिसे सभी उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए लिया जाता है। इसकी दरें राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा तय की जाती हैं।
IDC का भुगतान कब और कैसे करना होता है?
IDC का भुगतान नया कनेक्शन लेते समय या लोड बढ़वाते समय किया जाता है। यह भुगतान बिजली विभाग द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार बिल के साथ किया जाता है।
2 thoughts on “इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेज (IDC) वसूली या ज़रूरी खर्च”