बिजली की चोरी करना एक दंडनीय अपराध है और बिजली चोरी के मामलों में विद्युत अधिनियम 2003/2007 के तहत कार्यवाही करने का प्रावधान है। जिसमें बिजली चोरी के मामलों में जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान है। आज हम जानने की कोशिश करेंगे की बिजली चोरी के मामलों में कितने प्रकार का जुर्माना लग सकता है और विद्युत विभाग द्वारा बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन करने की विधि क्या है? इस लेख में आपको तथ्याधारित बिजली चोरी के जुर्माने की गणना कैसे करें की सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी जो विद्युत विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ जन साधारण के लिए भी काम की साबित हो सकती है ।
जैसा की सब जानते हैं की बिजली चोरी करना अपराध है परंतु अधिकतर इस विषय पर सही जानकारी न होने के कारण कभी कभी अंजाने में हम कुछ ऐसा कर रहे होते है जो बिजली चोरी के अंतर्गत आता है और पकड़े जाने पर भारी जुर्माना चुकाना पड़ता है ।
इसलिए इस विषय में जानकारी होना बहुत आवश्यक है क्योंकि विद्युत नियमों और विनियमों के ज्ञान का न होना हमे जुर्माने से बचा नहीं सकता। क्योंकि एक उपभोक्ता होने के कारण विद्युत विभाग के नियमों की जानकारी रखना भी उपभोक्ता की ज़िम्मेदारी होती है ।
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अगर आप नहीं जानते कि बिजली चोरी वास्तव में क्या होती है और कितने प्रकार की होती है तो इस पर हमारे ब्लॉग पर पहले से एक विस्तृत लेख लिखा है जिसका लिंक ऊपर दिया है जिस पर क्लिक करके आप पहले उसे पढ़ सकते हैं ताकि इस लेख को समझने में आपको आसानी हो ।
बिजली चोरी के मामलों में भारतीय विद्युत अधिनियम 2003/2007 के तहत कार्यवाही की जाती है इसलिय सभी राज्यों में बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन/मूल्यांकन (Assessment) करने कि विधि भी तकरीबन एक सी ही होती है । लेकिन यहाँ हम जानेगें की जब हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) के किसी मूल्यांकन अधिकारी (Assessing Officer) व अधिकृत अधिकारी (Authorized Officer) के द्वारा बिजली चोरी का मामला पकड़ा जाता है तो जुर्माने की गणना कैसे की जाती है ।
विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 126 के अंतर्गत बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन व गणना कैसे की जाती है ?
विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 126 के अंतर्गत आने वाले बिजली चोरी के मामलों को बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Unauthorized Use of Electricity ) भी कहा जाता है । जिसमें अधिकतर बिजली चोरी के वह मामले आते हैं जिनमे अनजाने में बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग हो रहा होता है या फिर बिजली के अनधिकृत उपयोग करने के पीछे किसी की मंशा बेईमानी करने की नहीं होती है ।
बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग के अंतर्गत जुर्माना किसे लगाया जा सकता है ?
वो कोई भी व्यक्ति जिसके द्वारा बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Unauthorized Use of Electricity ) करने पर उसे लाभ हुआ हो भले ही वो विद्युत विभाग का मौजूदा उपभोक्ता हो या नहीं हो उसको विद्युत विभाग द्वारा जुर्माना लगाने का अधिकार है ।
धारा 126 के तहत बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन अधिकतम कितनी अवधि तक किया जा सकता है ?
जितने समय तक बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग किया गया हो उस पूरी अवधि के लिए बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन किया जाता है । परंतु ऐसे मामले जहाँ बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग की अवधि सुनिश्चित नहीं की जा सकती उस स्थिति में बिजली चोरी का आंकलन निरीक्षण तिथि से पहले के बारह महीनों (12 Months) तक सीमित रहेगी।
धारा 126 के तहत किस दर से बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन किया जाता है ?
धारा 126 के तहत प्रासंगिक विद्युत श्रेणी (Relevant Category) के अनुसार गणना की गई बिजली की खपत को लागू टैरिफ की दर से दोगुना बिजली शुल्क(Electricity Charges) लगा कर पहले से भुगतान किए गए शुल्कों में कटौती के बाद सब्सिडी का लाभ दिए बिना जुर्माने का आंकलन किया जाता है ।
धारा 126 के तहत विद्युत खपत की गणना करने की विधि क्या है?
धारा 126 के तहत विद्युत खपत की गणना दो तरह से की जाती है । इन्हे एक-एक करके दोनों को समझते है :
- अगर मीटर रीडिंग उपलबद्ध है तो धारा 126 के तहत विद्युत खपत की गणना मीटर रीडिंग के आधार पर की जाती है ।
- अगर किसी कारण से मीटर रीडिंग उपलबद्ध नहीं हो तो विद्युत खपत की गणना के लिए LDHF फॉर्मूला से की जाती है ।
LDHF फॉर्मूला क्या होता है ?
बिजली चोरी के संदर्भ में विद्युत खपत की गणना करने के लिए LDHF फॉर्मूला का प्रयोग किया जाता है । LDHF फॉर्मूला के चार मुख्य घटक हैं:
- L (Load) : यहाँ L से अभिप्राय बिजली चोरी में उपयोग हुए उस अनधिकृत कन्नेक्टेड लोड (विद्युत भार ) से है जो KW (किलो वाट) में निरीक्षण के समय पाया गया है ।
- D (Days) : से अभिप्राय उन प्रतिमाह कार्य दिवसों की संख्या से है जिसके दौरान बिजली के अनाधिकृत उपयोग/चोरी का संदेह होता है । यहाँ (Days) कार्य दिवसों का आंकलन विद्युत की श्रेणी के हिसाब से निम्नलिखित सारणी के अनुसार किया जाता है ।
सारणी संख्या 1:
क्रमांक | श्रेणी | कार्य दिवसों की संख्या |
(a) | Continuous industry | 30 days |
(b) | Non-continuous industry | 25 days |
(c) | Domestic use | 30 days |
(d) | Agriculture | 30 days |
(e) | Non-Residential (continuous) viz. hospitals, hotels restaurants, guesthouses, nursing homes, petrol pumps. | 30 days |
(f) | Non Residential (general) i.e. other than (e) | 25 days |
(g) | Waterworks & street lights | 25 days |
(h) | Other Categories | 30 days |
(i) | Other categories | 30 days |
3. H (Hours): से अभिप्राय प्रतिदिन कितने घंटो तक बिजली के अनाधिकृत उपयोग/चोरी के आंकलन के लिए प्रयोग होता है । यहाँ H (Hours) का आंकलन विद्युत की श्रेणी के हिसाब से निम्नलिखित सारणी के अनुसार किया जाता है ।
सारणी संख्या 2:
क्रमांक | श्रेणी | घंटो की संख्या |
(a) | Non-residential hotels, hospitals, nursing homes, guest houses, petrol pumps | 08 hrs. |
(b) | Continuous industry | 24 hrs |
(c) | Non-continuous industry (day & night) | 20 hrs. |
(d) | Domestic use | 08 hrs. |
(e) | Agriculture | 06 hrs. |
(f) | Non-Residential including restaurants | 12 hrs. |
(g) | Waterworks & street lights | 20 hrs. |
(h) | Waterworks & street lights | 08 hrs. |
(i) | Street lights | 12 hrs. |
(j) | Other categories e.g. temporary connection etc | 12 hrs. |
4. F (Factor): से अभिप्राय डिमांड फैक्टर (Demand Factor) से है जिसका आंकलन विभिन्न विद्युत की श्रेणी के हिसाब से निम्नलिखित सारणी के अनुसार किया जाता है ।
सारणी संख्या 3:
क्रमांक | श्रेणी | डिमांड फैक्टर |
(a) | Industrial ( General ) | 60% |
(b) | Industrial (Power Intensive, Arc Furnace) | 75% |
(C) | Domestic | 30% |
(d) | Agriculture | 100% |
(e) | Non-Residential | 40% |
(f) | Direct theft | 100% |
(g) | Other categories e.g. temporary connection etc | 100% |
LDHF फोर्मूले से बिजली के अनाधिकृत उपयोग/चोरी के मामले में जुर्माने की गणना का उदाहरण
चलिये हम क्रमबद्ध तरीके से LDHF फोर्मूले की मदद से विद्युत खपत निकालना तथा जुर्माने की गणना एक उदाहरण की सहायता से सीखते हैं । मान लेते हैं किसी के द्वारा घरेलू बिजली के मीटर का प्रयोग घरेलू उदेश्य के साथ- साथ कमर्शियल उदेश्य के लिए भी किया जा रहा है। तो इस केस में जुर्माने की राशि की गणना कैसे की जाएगी ?
मान लेते हैं की इस केस में विद्युत विभाग के निर्धारण अधिकारी (Assessing Officer) द्वारा यह निष्कर्ष निकाला जाता है की घरेलू बिजली के मीटर का प्रयोग से 3KW तक के लोड का प्रयोग दुकान चलाने के किया गया है । तब LDHF फोर्मूले की सहायता से चोरी की गयी विद्युत की खपत ऐसे निकली जाएगी:
विद्युत खपत निकालना :
विद्युत खपत = L*D*H*F =(3)*(25)*(12)*(40%)= 360 unit (kWh)
- ऊपर फोर्मूले में L की वैल्यू ‘3’ ली गयी है क्योंकि हमने माना है की 3KW का लोड घरेलू मीटर से दुकान के लिए कन्नेक्टेड पाया गया है ।
- D (Days) की वैल्यू सारणी 1 के अनुसार ’25’ ली गयी है क्योंकि माना गया है लोड दुकान के लिए उपयोग हुआ है इसलिए यह Non Residential (general) कैटेगरी का माना गया है ।
- H (Hours) की वैल्यू सारणी 2 के अनुसार संबन्धित कैटेगरी के लोड के लिए ली गयी है ।
- F (Demand Factor) की वैल्यू सारणी 3 के अनुसार संबन्धित कैटेगरी के लोड के लिए ली गयी है
निकली गयी विद्युत खपत का चोरी की अवधि से निर्धारण :
ऊपर LDHF फोर्मूले से जो विद्युत की खपत निकली गयी है वो एक माह के लिए है । अब सुनिश्चित किया जाएगा की कितने माह के लिए चोरी की अवधि का निर्धारण किया जाए। इस मामले में हम मान कर चलते हैं की हम नहीं जानते की कितने समय से बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग/चोरी हो रही है उस स्थिति में बिजली चोरी का आंकलन पिछले बारह महीनों (12 Months) के लिए किया जाएगा ।
कुल विद्युत खपत 12 महीनों के लिए = 360*12= 4320 KWH
विद्युत शुल्क का निर्धारण :
अब तक हम 12 महीनों की खपत का निर्धारण कर चुके हैं अब हमें उस विद्युत खपत के विद्युत शुल्क का निर्धारण करना है। इसके लिए हमें इस बात का खयाल रखना होगा कि विद्युत शुल्क का निर्धारण विद्युत विभाग के टैरिफ के आधार पर बिजली चोरी के उदेश्य की कैटेगरी ओर सब कैटेगरी को ध्यान में रखते हुए बिजली की खपत को लागू टैरिफ की दर से दोगुना बिजली शुल्क(Electricity Charges) किया जाएगा ।
हमारे उदाहरण में हम यह मान कर चल रहे हैं कि बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग व्यावसायिक (Commercial) उदेश्य के लिए हो रहा था इस लिए हम विद्युत शुल्क की गणना HPSEBL की कमर्शियल कैटेगरी के हिसाब से करेंगे :
क्रमांक | शुल्क का प्रकार (Type of Charges) | दर (rate) | राशि (Amount) | टिप्पणी |
1 | एनर्जी चार्ज (Energy Charges) 4320 kWH यूनिट खपत के लिए = | 4320*6.52*2 | ₹ 56333/- | कमर्शियल विद्युत टैरिफ की दर आज के हिसाब से 6.52 रुपेये प्रति यूनिट है परंतु दुगना शुल्क लगेगा |
2 | इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी (Electricity Duty) = | 12% एनर्जी चार्ज के ऊपर | ₹ 3380/- | 4320*6.52 =28166.4 * 12%= ₹ 3380 । ध्यान रहे सिर्फ एनर्जी चार्ज पर दुगना शुल्क लगेगा बकियों पर नहीं |
3 | नगरपालिका कर (M-TAX) | 1% कुल खपत के ऊपर | ₹ 43 | 4320*1%=43 । ध्यान रहे M-TAX सिर्फ शहरी उपभोक्ता को लगता है । |
कुल योग | ₹ 59756.00 |
यहाँ बिजली चोरी के जुर्माने की राशि बनी है ₹ 59756.00 । देखा अपने थोड़े से लोड पर भी कितना बड़ा जुर्माना बनता है
कुछ और शुल्क भी होते हैं जो की आवश्यकता अनुसार लगाए जा सकते हैं जैसे की मीटर बरंट कोस्ट , मीटर री-सीलिंग चार्जेस , रीकनैक्शन चार्जेस या अन्य कानूनों/विनियमों या आपूर्ति संहिता के प्रावधानों के तहत किसी भी तरह चार्जेस विद्युत शुल्क के अतिरिक्त लगाए जा सकते हैं ।
विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 135 के अंतर्गत बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन व गणना कैसे की जाती है ?
विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत विद्युत के चोरी या अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग का मामला तब बनता है जब अधिकृत अधिकारी द्वारा यह पाया जाता है की विद्युत चोरी के पीछे संबन्धित व्यक्ति या उपभोक्ता की मंशा (intension) बेईमानी(dishonesty) की थी । इसलिए इस धारा के अंतर्गत आने वाला अपराध दंडनीय अपराध है जिस वजह से संबन्धित व्यक्ति या उपभोक्ता से जुर्माना तो वसूला जाता ही है पर साथ-साथ पर पर आपराधिक मामले (Code of Criminal Procedure) के तहत भी कार्यवाही चलती है ।
धारा 135 के तहत बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन अधिकतम कितनी अवधि तक किया जा सकता है ?
जितने समय तक बिजली की चोरी की गयी हो उस पूरी अवधि के लिए बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन किया जाता है परंतु ऐसे मामले जहाँ बिजली चोरी की अवधि सुनिश्चित नहीं की जा सकती उस स्थिति धारा 135 के तहत बिजली चोरी का आंकलन निरीक्षण तिथि से पहले के बारह महीनों (12 Months) तक किया जाता है । अधिकृत अधिकारी द्वारा 12 महीनों की अवधि को कम भी किया जा सकता है अगर संबन्धित संदिग्ध उपभोक्ता द्वारा लिखित दस्तावेजों के आधार पर यह साबित किया जा सके की बिजली की चोरी कम समय के लिए हुई थी ।
धारा 135 के तहत किस दर से बिजली चोरी के जुर्माने का आंकलन किया जाता है ?
धारा 135 के तहत प्रासंगिक विद्युत श्रेणी (Relevant Category) के अनुसार गणना की गई बिजली की खपत को लागू टैरिफ की दर से दोगुना बिजली शुल्क(Electricity Charges) लगा कर पहले से भुगतान किए गए शुल्कों में कटौती के बाद सब्सिडी का लाभ दिए बिना जुर्माने का आंकलन किया जाता है ।
धारा 135 के तहत विद्युत खपत की गणना करने की विधि क्या है ?
बिजली चोरी की धारा के संदर्भ में विद्युत खपत की गणना करने के लिए LDHF फॉर्मूला का प्रयोग किया जाता है। LDHF फॉर्मूला से कैसे विद्युत चोरी की खपत को निकाला जाता है और विद्युत शुल्क की गणना की जाती है उसे पहले ही हमने विस्तृत रूप से धारा 126 के संदर्भ में व्याख्या कर दी है । LDHF फोर्मूले से विद्युत खपत की गणना दोनों धाराओं में एक ही तरह से होती है ।
धारा 135 के तहत “Compounding Charges” (शमन शुल्क) क्या है ?
धारा 135 के अंतर्गत बिजली चोरी का अपराध दंडनीय अपराध है जिस वजह से संबन्धित व्यक्ति या उपभोक्ता पर आपराधिक मामले (Code of Criminal Procedure) के तहत भी कार्यवाही चलती है । इसलिए इस कार्यवाही से बचने के लिए संबन्धित व्यक्ति को शमन शुल्क (compounding charges) भी जमा करवाने पड़ते है ।
धारा 135 के तहत कितना कंपाउंडिंग शुल्क जमा करवाना पड़ता है ?
भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 152 के तहत विभिन्न कनैक्शन /सेवाओं के हिसाब से नीचे दिये विवरण के हिसाब से शमन शुल्क (Compounding charges) जमा करवाने पड़ते हैं
क्रमांक | कनैक्शन / सेवा श्रेणी | कंपाउंडिंग/शमन शुल्क |
1 | औद्योगिक | 20000/-रुपेय प्रति KW/KVA/HP |
2 | व्यावसायिक | 10000/- रुपेय प्रति KW/KVA/HP |
3 | कृषि | 2000/- रुपेय प्रति KW/KVA/HP |
4 | अन्य | 4000/- रुपेय प्रति KW/KVA/HP |
धारा 135 के तहत कोन अधिकारी धारा 152 (कंपाउंडिंग) के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार रखते है।
भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 152 के तहत राज्य सरकार को धारा 152 के प्रावधानों को लागू करने के लिए अधिकारियों को नामित करने की शक्तियाँ दी हुई है । हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अपनी नोटिफ़िकेशन संख्या MPP/-A(3)-3/2003-I dated 21st August 2006 के अनुसार निमंलिखित विद्युत विभाग के अधिकारियों को धारा 152 के प्रावधान के लिए नामित किया है :
निष्कर्ष :
इस लेख में हमने समझा कि बिजली चोरी के विभिन्न प्रकार के लिए जुर्माने की गणना कैसे की जाती है। मीटर रीडिंग उपलब्ध होने पर सीधे मीटर रीडिंग के आधार पर और मीटर रीडिंग न होने पर LDHF फॉर्मूला का उपयोग करके खपत की गणना की जाती है। धारा 126 और धारा 135 के तहत जुर्माने की दर और गणना की विधि को भी स्पष्ट किया गया है।यह जानना आवश्यक है कि अनजाने में भी किया गया विद्युत का अनधिकृत उपयोग बिजली चोरी की श्रेणी में आता है और इसके लिए जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। इस प्रकार, सभी विद्युत उपभोक्ताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे विद्युत विभाग के नियमों और विनियमों की पूरी जानकारी रखें और उनका पालन करें।
FAQs
बिजली चोरी के क्या परिणाम होते हैं?
बिजली चोरी एक गंभीर अपराध है जिसमें विद्युत अधिनियम, 2003/2007 के प्रावधानों के अंतर्गत विधिक कार्रवाई और भारी धनराशि के जुर्माने के रूप में दंडित किया जा सकता है ।
धारा 126 के तहत बिजली की खपत कैसे गणित की जाती है?
बिजली की खपत को धारा 126 के प्रावधानों के अनुसार मीटर रीडिंग के आधार पर या मीटर रीडिंग उपलब्ध न होने पर एलडीएचएफ सूत्र (LDHF Formula) का उपयोग करके बिजली की खपत की गणना की जाती है ।
एलडीएचएफ सूत्र (LDHF Formula )क्या है और इसका कैसे उपयोग किया जाता है?
एलडीएचएफ सूत्र का उपयोग बिजली चोरी या अधिकृत उपयोग के मामलों में बिजली की खपत को गणना करने के लिए किया जाता है। इसमें भार (एल), दिन (डी), घंटे (एच) और कारक (एफ) शामिल होते हैं।
धारा 135 के अंतर्गत बिजली चोरी के लिए आंकलन अधिकतम कितनी अवधि तक किया जा सकता है?
धारा 135 के अंतर्गत, बिजली चोरी का मूल्यांकन निरीक्षण तिथि से पहले के बारह महीनों के लिए किया जाता है।
धारा 135 के तहत बिजली शुल्क को निर्धारित करने की प्रक्रिया क्या है?
बिजली शुल्क को धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार बिजली की खपत की लागू श्रेणी के लिए दोगुना लागू करके निर्धारित किया जाता है।
किसे धारा 135 के तहत कंपाउंडिंग शुल्क (शमन शुल्क) लागू करने का अधिकार है?
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्राधिकृत अधिकारियों को धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार कंपाउंडिंग शुल्क लागू करने का अधिकार होता है।
धारा 135 के लिए बिजली चोरी के लिए जुर्माने क्या हैं?
धारा 135 के अनुसार बिजली चोरी एक दंडनीय अपराध है, जिससे कानूनी कार्रवाई और जुर्माने के साथ साथ कंपाउंडिंग शुल्क लागू होता है ।
Article Source: Indian Electricity act 2003/2007, HPSEBL Supply Code 2009, HPSEBL Sales Manual
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