हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (HPSEBL) के विधि अधिकारी कमलेश सकलानी को अवमानना के लिए दोषी ठहराया है। सकलानी को अदालत के आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए तब तक के लिए सिविल कारावास की सजा सुनाई गई जब तक अदालत उठती नहीं है और 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
यह मामला M/s वर्धमान इस्पात उद्योग द्वारा पहले दायर की गयी याचिका से उत्पन्न हुआ था जिसमें उन्होंने लोकपाल द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी। एचपीएसईबीएल के लॉ ऑफिसर कमलेश सकलानी ने हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (HPERC) के समक्ष एक सुनवाई में HPSEBL का प्रतिनिधित्व करते हुए कथित तौर पर स्थगन आदेश ( Stay Order) का खुलासा नहीं किया था और बहस जारी रखी थी ।
वर्धमान इस्पात उद्योग ने सकलानी के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरु करने पर यह तर्क दिया की HPSEBL के Law Officer द्वारा जानबूझकर उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया गया है ।
उच्च न्यायालय ने पाया कि सकलानी की माफी में ईमानदारी की कमी थी, क्योंकि उन्होंने HPERC को सूचित करने के बारे में विरोधाभासी बयान दिए थे और HPERC के समक्ष अपने दावे का बचाव जारी रखा था।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान द्वारा कहा गया की कानून का शासन लोकतंत्र की नींव है और अदालत के आदेशों की पालना न करना कानून के शासन की जड़ों में चोट करना है । उन्होंने निष्कर्ष निकाला की कमलेश सकलानी के कार्यों ने अदालत के अधिकार को कमजोर किया और न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न की। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 215 और न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12(1) के तहत दोषी ठहराया गया।
Original News Source:- Livelaw. in
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