आज हम एक बड़े ही महत्वपूर्ण विषय बिजली चोरी (Theft of Electricity ) के बारे में बात करने जा रहे है । हम सभी जानते हैं की बिजली की चोरी एक अपराध है लेकिन अधिकतर लोगों को यह नहीं पता की बिजली चोरी के अंतर्गत क्या -क्या आता है। यह विषय ऊपर से दिखने में जितना सरल लगता है उतना ही जटिल है । इसलिए इस विषय में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि जानकारी में ही बचाव है । इस लेख में हम तथ्यों सहित इस विषय में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करेंगे।
बिजली चोरी को समझने से पहले दो बातें समझना पहले बहुत जरूरी है पहला यह कि बिजली चोरी के मामलों का निपटारा भारतीय विद्युत अधिनियम (Indian Electricity Act 2003/2007) के अंतर्गत किया जाता है ।
दूसरा यह कि बिजली, भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची का एक समवर्ती (Concurrent) विषय है। जिसका मतलब यह है कि विद्युत संबन्धित विषय में केंद्र और राज्य सरकार दोनों के पास कानून और नियम बनाने का अधिकार है । इसलिए कुछ राज्यों में बिजली संबन्धित नियमों में थोड़ी सी भिन्नता हो सकती है परंतु सभी विद्युत नियमों कि आत्मा भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 ही है ।
अब बात करते हैं कि बिजली चोरी क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर बिजली बिजली के उपयोग करने के तरीके में छिपा है । इसको समझने के लिए अगर आपने यह समझ लिया कि बिजली का अधिकृत उपयोग (Authorized use of Electricity) और बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Un-authorized use of Electricity) क्या है और दोनों में क्या अंतर है तो आपको जीवन भर इस विषय में कभी भ्रम नहीं होगा ।
बिजली का अधिकृत उपयोग (Authorized use of Electricity) क्या होता है ?
बिजली का अधिकृत उपयोग का मतलब यह है कि जिस उद्देश्य या कार्य के लिए आपको बिजली का कनैक्शन विद्युत विभाग द्वारा दिया गया है सिर्फ उसी उद्देश्य के लिए अधिकृत (Auhorized) बिजली के कनैक्शन से बिजली का उपयोग करना बिजली का अधिकृत उपयोग कहलाता है ।
बिजली के अधिकृत उपयोग के लिए विद्युत विभाग द्वारा किसी भी तरह की कोई पेनल्टी या दंड नहीं लगाया जा सकता परंतु बिजली का अधिकृत उपयोग करने के बाद बिजली का बिल जमा न करवाने के कारण विद्युत विभाग के द्वारा भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 के तहत बिजली का कनैक्शन काटा जा सकता है ।
बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Un-authorized use of Electricity) क्या है ?
बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग का मतलब है जिस उदेश्य या कार्य के लिए बिजली का कनैक्शन लिया गया उस से हट कर या गलत तरीके से बिजली का उपयोग करना । बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग के अंतर्गत क्या-क्या आता है इसको आगे चल कर हम विस्तार से समझेंगे । पर उससे पहले यह समझना जरूरी है की बिजली चोरी के मुख्य कितने प्रकार होते हैं .
बिजली चोरी के कितने प्रकार की होती है ?
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की रोशनी में बिजली चोरी के मामलों को हम मुख्य दो प्रकार में विभाजित कर सकते हैं ।
- बिजली (विद्युत खपत) की चोरी (Theft of Electricity )
- बिजली के सामान की चोरी (Theft of Electrical Material)
दोनों प्रकार की चोरियों में विद्युत अधिनयम 2003 की अलग अलग धाराओं के तहत कार्यवाही की जाती है। इनमें बिजली चोरी के कुछ मामले संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) की श्रेणी में आते हैं ।
संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) वह अपराध होते हैं जिनमें अभियुक्त के ऊपर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत करवाही चलती है और यह एक गैर जमानती अपराध होता है जिसमें पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तारी हो सकती है ।
आइए अब दोनों प्रकार के विद्युत चोरी के मामलों को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं दोनों प्रकार के मामलों में क्या क्या कारवाई होती है ।
बिजली (विद्युत खपत) की चोरी क्या है ?
अधिकतर हम यही मानते हैं कि अगर कोई सीधे ही कुंडी/ कटिया डाल कर बिजली का उपयोग कर रहा है तो सिर्फ वही बिजली की चोरी कहलाता है परंतु भारतीय विद्युत अधिनियम (Indian Electricity Act 2003/2007) के अनुसार बिजली चोरी की परिभाषा बहुत ही विस्तृत है ।
भारतीय विद्युत अधिनियम (Indian Electricity Act 2003/2007) के अनुसार बिजली चोरी को तकनीकी रूप से “बिजली का अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग” या Unauthorized Use of Electricity के रूप में परिभाषित किया गया है। कई बार जाने अनजाने में में हम कुछ ऐसा कर रहे होते है जो Electricity Theft के अंतर्गत आता है।
क्या आप जानते है अगर आपके घर का कन्नेक्टेड विद्युत भार आपके स्वीकृत भार से ज्यादा है तो भी यह एक तरह से बिजली चोरी के अंतर्गत आता है । और अगर विभाग द्वारा आज के समय में सभी के विद्युत भार की जाँच की जाए तो दावे के साथ कहा जा सकता है कि 90% से अधिक उपभोक्ता का Connected Load उनके Sanctioned या स्वीकृत लोड से अधिक ही मिलेगा । अगर ऐसा हुआ तो उनको भारी जुर्माना चुकाना सकता है ।
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इसलिए सभी के लिए इस विषय को अच्छे से समझना बहुत जरूरी है । भारतीय विद्युत अधिनियम (Indian Electricity Act 2003/2007) के तहत बिजली (विद्युत खपत) की चोरी को 2 प्रकार से परिभाषित किया गया है :
- बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग – विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126
- बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग – विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135
बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग – विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 126 के तहत किसे कहते हैं ?
भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 126 के प्रावधानों के अनुसार बिजली के अनिधिकृत उपयोग का मतलब निम्नलिखित है :
- किसी भी कृत्रिम साधन का उपयोग कर के बिजली का उपयोग करना या
- किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था द्वारा बिजली का उपयोग करना जिसे विद्युत वितरण कंपनी (HPSEBL) द्वारा अधिकृत (Authorized) नहीं किया गया है या
- बिजली के मीटर से छेड़ छाड़ (Tampering) कर बिजली का उपयोग करना या
- जिसके लिए बिजली का उपयोग अधिकृत किया गया है उसके अलावा किसी अन्य गतिविधि के लिए बिजली का उपयोग करना (उदाहरण के लिए घरेलू बिजली के मीटर का उपयोग व्यावसायिक या अन्य गतिविधि के लिए करना) या
- जिस चिन्हित परिसर या स्थान के लिए बिजली के उपयोग के लिए विद्युत वितरण कंपनी अधिकृत किया गया है उसके अलावा किसी अन्य स्थान या परिसर के लिय उस बिजली का उपयोग करना ।
इसके अलावा अनुमति के बिना कनेक्टेड लोड में वृद्धि को भी बिजली का अनधिकृत उपयोग माना जाएगा :
- अगर कन्नेक्टेड लोड स्वीकृत लोड से 10 kW से अधिक पाया जाता है (upto 100 KW )
- जहाँ स्वीकृत लोड 100 KW से ज्यादा है और उस स्थिति वहाँ अगर कन्नेक्टेड लोड उपभोक्ता के स्वीकृत भार (Sanctioned Load) से 10 % अधिक पाया जाता है (upto 200 KW)
- अगर वास्तविक डिमांड आपके स्वीकृत लोड (After Converting Sanctioned load to KVA by assuming Power Factor 0.9) से 10KVA से अधिक आती है ।
तो देखा आपने कितने सारे कारण है जिनकी वजह से विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 126 के तहत बिजली के उपयोग को Unauthorized Use of Electricity यानि Theft of Electricity माना जा सकता है। इस लिए इस विषय में जागरूक रहने की जरूरत है ।
अब हम जानने की कोशिश करते है कि भारतीय विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 135 के तहत कोन-कोन से कारण या गतिविधि Unauthorized Use of Electricity यानि Theft of Electricity के अंतर्गत आता है ।
HPSEBL के पत्र संख्या HPSEBL/CE(Comm.)/Electy.Act-2003(Notifications)/2011-12-20861-21170 Dated 19.03.2012 के अनुसार ग्रामीण इलाके में एक ही उपभोक्ता से संबन्धित बिजली के मीटर के माध्यम से परिसर के अंदर साथ के कमरों, रसोई घर, स्टोर, शोचालय और स्ट्रीट लाईट इत्यादि से विद्युत आपूर्ति को एकल इकाई (Single Unit ) ही माना जाएगा। तो ऐसे स्थानों से किसी भी कनेक्टिविटी को बिजली का अनधिकृत उपयोग के रूप में नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार स्वीकृत लोड (स्वीकृत लोड की +20% सीमा) के भीतर है।
बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग – विद्युत अधिनियम 2003/2007 की धारा 135 के तहत किसे कहते हैं ?
भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार बिजली के अनिधिकृत उपयोग तभी माना जाएगा जब कोई जानभूझ कर बेईमानी की मंशा से (Dishonest Intent) बिजली का अनधिकृत उपयोग करता है। आइये जानते हैं की किन किन कारणों की वजह से बिजली का अनधिकृत उपयोग (Unauthorized Use of Electricity) धारा 135 के अंतर्गत आता है :
- अगर कोई विद्युत वितरण कंपनी के ऊपरी, भूमिगत या जलमध्य से बिछी तारों या केबलों, या सर्विस Wire , या किसी भी सर्विस facility साथ कोई कनेक्शन बनाता है, या बनवाता है या
- यदि कोई बिजली के मीटर के साथ किसी भी तरह की छेड़-छाड़ (Tampering) करता है जैसे की Service wire की इन्सुलेशन के साथ छेड़ छाड़ करना, करंट रिवर्सिंग ट्रांसफार्मर, लूप कनेक्शन का उपयोग या मीटर की बॉडी के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करना जिस वजह से बिजली के मीटर को सही रीडिंग अथवा खपत को रिकॉर्ड करने की क्षमता में हस्तक्षेप होता है या
- किसी भी विद्युत विभाग के बिजली का मीटर, उपकरण, या तारों को नुकसान पहुंचाना या नष्ट करना या बाधा डालना अथवा इतना क्षतिग्रस्त या नष्ट करने की अनुमति देना कि बिजली की उचित या सटीक मीटरिंग के साथ हस्तक्षेप हो सके या
- एक Tampered बिजली के मीटर के माध्यम से बिजली का उपयोग करना या
- बिजली का उपयोग जिस उदेश्य के लिए विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया था उसके अलावा किसी और प्रयोजन के लिए विद्युत का उपयोग करना ।
बिजली के अनधिकृत उपयोग की धारा 126 और 135 में क्या अन्तर है ?
अभी तक आप जान ही गए होंगे की बिजली की चोरी का आंकलन भारतीय विद्युत अधिनियम के अनुसार 2 तरह की धाराओं 126 और 135 के अंतर्गत किया जाता है। मगर अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाओगे बहुत से प्रावधान दोनों धाराओं में मिलते जुलते हैं जैसे कि :
- एक Tampered या छेड़ -छाड़ किए हुए बिजली के मीटर के माध्यम से बिजली का उपयोग करना
- बिजली का उपयोग जिस उदेश्य के लिए विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया था उसके अलावा किसी और प्रयोजन के लिए विद्युत का उपयोग करना
तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है की दोनों में अंतर क्या है। दोनों में मुख्य 2 प्रकार के अन्तर है जिसका ऊर्जा मंत्रालय ने अपने पत्र संख्या No.42/2/2005-R&R में स्पष्टीकरण दिया है :
- धारा 126 और 135 के दो प्रावधानों के बीच मुख्य अंतर यह है कि धारा 135 के तहत बिजली चोरी के अपराध के लिए आवश्यक घटक है “‘Dishonest Intention’ यानि “बेईमानी का इरादा”।
इसका आसान भाषा में मतलब ये है कि धारा 126 वहाँ लगेगी जहां किसी के द्वारा अनजाने में अनाधिकृत रूप से बिजली का उपयोग किया जा रहा है और यह करने के पीछे उसका इरादा बेईमानी करने का नहीं था । वहीं दूसरी और धारा 135 वहाँ लगेगी जहाँ बिजली के अनाधिकृत उपयोग बेईमानी की मंशा से किया जा रहा हो ।
2. दूसरा अन्तर यह है कि धारा 135 के मामले संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) की श्रेणी में आते हैं जिसमें पुलिस एफ़.आई.आर (FIR) होना अनिवार्य है जिस वजह से अभियुक्त को जुर्माने के साथ साथ जेल की हवा भी खाने पड़ सकती है । वहीं 126 के मामले में सिर्फ जुर्माना लगाया जाता है इसमे पुलिस कार्यवाही नहीं की जा सकती है । परन्तु ध्यान रहे दोनों मामलों में जुर्माने की गणना एक समान होती है ।
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बिजली के लाइनों और सामग्री की चोरी (Theft of Electrical lines & Material)
अभी तक आप जान गए होंगे कि भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 धारा 126 और धारा 135 के तहत विद्युत की चोरी के मामलों में कार्यवाही ही जाती है। परंतु भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 में विद्युत विभाग के समान जैसे की पोल, तार ,ट्रान्स्फ़ोर्मर की चोरी से निपटने के लिए भी कई तरह के प्रावधान मौजूद है । चलिये उन पर एक- एक करके चर्चा करते हैं :
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 136 तहत आने वाले मामले
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 137 तहत आने वाले मामले
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 तहत आने वाले मामले
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 तहत आने वाले मामले
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 140 तहत आने वाले मामले
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 136 तहत आने वाले मामले
अगर कोई बेईमानी की मंशा (dishonestly) से निम्नलिखित कार्य करता है (भले की कार्य कोई लाभ प्राप्त न करने के लिए किया गया हो ) भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 136 के अंतर्गत आता है :
(1) बिजली के सामानों जैसे की विद्युत तार , पोल , ट्रान्स्फ़ोर्मर या विद्युत मीटर इत्यादि की चोरी व विद्युत विभाग की मंजूरी के बिना कोई विद्युत लाइन को एक जगह से दूसरी जगह हटाता है या
(2) विद्युत विभाग की मंजूरी के बिना बिजली के सामानों जैसे की विद्युत तार , पोल , ट्रान्स्फ़ोर्मर या विद्युत मीटर इत्यादि को अपने परिसर में भंडारण करता है या अपने कब्जे में रखता है भले ही यह कार्य कोई लाभ प्राप्त करने के उदेश्य से न किया गया हो या
(3) बिजली के सामानों जैसे की विद्युत तार , पोल , ट्रान्स्फ़ोर्मर या विद्युत मीटर इत्यादि को विभाग की मंजूरी के बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना (Transpotation) ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 136 तहत दंड के क्या प्रावधान हैं ?
धारा 136 के तहत किया गया अपराध संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) की श्रेणी में आते हैं । इसलिए अभियुक्त को जुर्माना या अधिकतम तीन साल की जेल या दोनों हो सकते है।
अगर कोई व्यक्ति जो पहले भी धारा 136 के तहत अपराध में लिप्त पाया जा चुका हो और वह दोबारा धारा 136 के तहत अपराध करने में दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम दस हजार रुपेय के जुर्माने के साथ साथ 6 महीने से 5 साल तक की जेल की सजा होगी ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 137 तहत आने वाले मामले
अगर किसी के द्वारा बेईमानी की मंशा (dishonestly) से चुराये गए विद्युत विभाग के बिजली के समान को प्राप्त करता है या चुराया गया बिजली का सामान उसके परिसर में पाया जाता है तो उस पर भारतीय विद्युत अधिनयम 2003 की धारा 137 के तहत कार्यवाही होगी ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 137 तहत दंड के क्या प्रावधान हैं ?
धारा 137 आने वाले अपराध भी संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) की श्रेणी में आते हैं और दोषी पाये जाने पर जुर्माना या तीन साल तक का अधिकतम कारावास या दोनों हो सकते हैं ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 तहत आने वाले मामले
अगर किसी के द्वारा विद्युत विभाग के मीटर, उपकरण या किसी वर्क के साथ हस्तक्षेप (Interference) किया जाता है तो उस पर भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 138 के तहत कार्यवाही होगी और निम्नलिखित कार्य इस धारा के अंतर्गत आएंगे :
(1) किसी के द्वारा बिना अनुमति के विद्युत मीटर,सूचक या उपकरण को उस विद्युत लाईन से जोड़ना या हटाना जिस विद्युत लाईन से विद्युत विभाग द्वारा बिजली की आपूर्ति की जा रही हो या
(2) विद्युत विभाग द्वारा बिजली काट देने के बाद बिना अनुमति के दोबारा मीटर या उपकरण को विद्युत विभाग की लाईन या किसी भी संपति (पोल, पीवीसी, लाईन , टी जाइंट इत्यादि ) के साथ जोड़ना । या
(3) बिना अनुमति के किया गया ऐसा कार्य जिसका उदेश्य विद्युत विभाग के इलैक्ट्रिकल वर्क ( संकर्मों ) के साथ किसी और वर्क (संकर्म ) से संपर्क साध कर कोई हस्तक्षेप करना हो ।
(4) दुर्भावनापूर्वक विद्युत विभाग के किसी भी मीटर/उपकरण को क्षति पहुंचाना या जानभूझ कर /धोखाधड़ी से बिजली के मीटर की रीडिंग के साथ छेड़-छाड़ करना या किसी भी तरह से बिजली के मीटर को सही रीडिंग रेकॉर्ड करने से रोकना ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 तहत दंड के क्या प्रावधान हैं ?
धारा 138 आने वाले अपराध भी संज्ञेय अपराध (cognizance Offence) की श्रेणी में आते हैं और दोषी पाये जाने पर अधिकतम दस हजार रुपेय तक का जुर्माना या तीन साल तक का अधिकतम कारावास या दोनों हो सकते हैं ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 तहत आने वाले मामले
अगर किसी के द्वारा लापरवाही से बिजली बर्बाद की जाती है या फिर लापरवाही से बिजली के मीटर या बिजली आपूर्ति से जुड़ी हुई किसी भी सामग्री को तोड़ा जाता है या नुकसान पहुंचाया जाता है या फिर फेंका जाता है तो उस पर विद्युत अधिनियम की धारा 139 के तहत कार्यवाही की जाती है ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 तहत दंड के क्या प्रावधान हैं ?
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 139 के तहत दोषी पाये जाने वाले को अधिकतम 10 हजार रुपेय तक का जुर्माना लगाया जा सकता है ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 140 तहत आने वाले मामले
अगर किसी के द्वारा दुर्भावनापूर्वक बिजली को बर्बाद या डायवर्ट किया जाता है या विद्युत आपूर्ति को काटा जाता है या विद्युत आपूर्ति को काटने के इरादे से विद्युत लाईन या वर्क (संकर्म ) को क्षति पहुंचाई जाती है या क्षति पहुंचाने की चेष्टा की जाती है तो उस पर विद्युत अधिनियम की धारा 140 के तहत कार्यवाही की जाएगी ।
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 140 तहत दंड के क्या प्रावधान हैं ?
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 140 तहत अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसको दस हजार रुपेय तक का अधिकतम जुर्माना लगाने का प्रावधान है ।
बिजली चोरी के मामले में कुछ महत्वपूर्ण ध्यान रखने हेतु बातें
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 145 के अनुसार किसी भी दीवानी अदालत (Civil Court) के पास बिजली का अनधिकृत उपयोग की धारा 126 के मामलों पर विचार करने का अधिकार नहीं है ।
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 151 के अनुसार कोई भी अदालत इस अधिनियम के तहत बिजली चोरी के दंडनीय अपराध का स्वत: संज्ञान नहीं ले सकती।
- भारतीय विद्युत अधिनियम के तहत बिजली चोरी के लिए जुर्माने के साथ साथ 3 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है ।
- भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 149 के तहत अगर किसी कंपनी के किसी व्यक्ति द्वारा बिजली चोरी का अपराध किया जाता है तो उस व्यक्ति के साथ साथ कंपनी को भी दोषी माना जाएगा ।
निष्कर्ष
लेख में हमने जाना की बिजली की चोरी किसे कहते हैं और बिजली चोरी में क्या क्या आता है । हमने जाना की बिजली चोरी के मामले भारतीय विद्युत अधिनियम के तहत धारा 126 और धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही अमल में लायी जाती है । इस विषय में अगर आपके कोई सवाल हो तो हमें जरूर अवगत करें । हम पूरी कोशिश करेंगे की आपके प्रश्नों के जबाब दे सकें ।
FAQs
बिजली चोरी क्या है?
बिजली चोरी से तात्पर्य बिजली का अनधिकृत उपयोग है । सरल भाषा में बिजली चोरी का मतलब है उस किसी भी तरह से बिजली का उपयोग करना जिसके लिए विभाग द्वारा आप authorized नहीं किया गया है बिजली की चोरी कहलाता है। इसमें बिजली के मीटर से छेड़ छाड़ या बिजली वितरण कंपनी द्वारा अनुमति प्राप्त कार्यों के अलावा किसी और प्रयोजन के लिय इस्तेमाल किए जाने वाले कार्य शामिल हैं।
बिजली चोरी के परिणाम क्या होते हैं?
भारतीय विद्युत अधिनियम 2003/2007 के तहत, बिजली चोरी के मामले में जुर्माने के साथ साथ 3 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है ।
बिजली चोरी कैसे पता लगती है?
बिजली चोरी को विभिन्न तरीकों से पता लगाया जा सकता है, जैसे कि मीटर और उपभोक्ता की खपत के पैटर्न का मॉनिटरिंग, और विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा नियमित निरीक्षण कराया जाना।
क्या बिजली चोरी अनजाने में हो सकती है?
हां, कुछ मामलों में बिजली चोरी अनजाने में हो सकती है, जैसे कि जब व्यक्ति नहीं जानता है कि उनके कार्य अनधिकृत बिजली का उपयोग के रूप में माने जाते हैं। इसलिए इस विषय में जागरूकता की बहुत जरूरत है ।
अगर मुझे बिजली चोरी की संदेह हो तो मैं क्या करूं?
अगर आपको अपने क्षेत्र में बिजली चोरी का संदेह है, तो आपको संबंधित प्राधिकरणों, जैसे कि बिजली वितरण कंपनी या स्थानीय कानून निर्देशक को सूचित करना चाहिए। प्रमाण प्रस्तुत करना या विशेष विवरण प्रदान करना उन्हें जांच और उचित कार्रवाई करने में मदद कर सकता है।
बिजली चोरी से कैसे बचा जा सकता है?
बिजली चोरी से बचने के लिए, व्यक्तियों और व्यापारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सिर्फ अधिकृत उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग करें और विद्युत वितरण कंपनी द्वारा निर्धारित विनियमों का पालन करें। साथ ही, संदिग्धता के किसी भी मामलों की सूचना देने से ऐसी गतिविधियों को रोकने में मदद मिल सकती है।
बिजली चोरी की रिपोर्ट करने वाले लोगों के लिए क्या कानूनी संरक्षण हैं?
हां, बिजली चोरी के मामलों की रिपोर्ट करने वाले लोगों को कानूनी संरक्षण प्राप्त होता है। उन्हें इसका कोई भी प्रतिशोध नहीं लिया जा सकता या उन्हें किसी भी प्रकार की भेदभावित किया जा सकता है। बिजली चोरी की रिपोर्ट करना नागरिक कर्तव्य माना जाता है ।
बिजली चोरी और संबंधित कानूनों के बारे में अधिक जानकारी कहाँ मिलेगी?
आप बिजली चोरी और इसके लागू कानूनों के बारे में अधिक जानकारी सरकारी वेबसाइटों पर, कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेकर, या अपनी स्थानीय बिजली वितरण कंपनी से मिल सकती है। साथ ही, जागरूकता अभियान भी इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
लेख स्रोत : Indian Electricity Act 2003, Indian Electricity Act 2007, HPSEBL Sales Manual updated
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