पावर सेक्टर हमारे देश की रीढ़ की हड्डी है मगर इसका संचालन बहुत ही जटिल है , जिस वजह से इस सेक्टर में विवादों का आना बहुत स्वाभिक है । भले ही आप सामान्य उपभोक्ता हो या औद्योगिक उपभोक्ता हो आपको मालूम होना चाहिए कि कोन सा विवाद किस चैनल के जरिये सुलझाया जा सकता है। क्योंकि अगर कभी आपका विद्युत कंपनी से कोई विवाद होता है और आपने बिजली कंपनी से अपना विवाद सुलझाने के लिए कोई अगर गलत चैनल चुन लिया तो आपका समय और पैसा दोनों व्यर्थ होगा । इसलिए आपको पावर सेक्टर विवादों के समाधान के प्रमुख चैनल का पता होना आवश्यक है ताकि आप अपने विवाद को सुलझाने के लिए सही दिशा में बढ़ सकें ।
पावर सेक्टर एक ऐसा क्षेत्र है जिसका संचालन विद्युत उत्पादन , विद्युत ट्रांसमिशन से लेकर विद्युत डिस्ट्रिब्यूशन तक है । इतने विस्तृत संचालन में बहुत तरह के विवाद आते है जिनके निपटारे के लिए विवाद के अनुसार विभिन्न चैनल है। हम यहाँ 15 तरह के विभिन्न चैनलों की चर्चा करेंगे जो पावर सैक्टर के विवादों को सुलझाने में सक्षम हैं।
रेगुलेटरी संबधि विवादों के निपटारे के लिए रेगुलेटरी चैनल प्रयोग किया जाता है । रेग्युलेटरी संबन्धित विवाद का मतलब है ऐसे विवाद जो बिजली की दरों या टैरिफ से संबन्धित हो या बिजली के लाइसेंसिंग प्रक्रिया से संबन्धित हो ।
इस तरह के विवादों के निपटारे के लिए विद्युत नियामक आयोग होते हैं । जिसमें शिकायत अधिकार क्षेत्र के अनुसार राज्य विद्युत नियामक आयोग या केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग में की जाती है ।
अगर आप राज्य विद्युत नियामक आयोग या केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के निर्णय से संतुष्ट नहीं हो तो पहले अपील The Appellate Tribunal for Electricity (APTEL) की जाती है उसके बाद अपील सुप्रीम कोर्ट में की जाती है ।
(2) बिजली चोरी संबन्धित विवाद (सेक्शन 135):
अगर कोई विवाद सीधा बिजली की चोरी (Section 135 of Indian Electricity Act) से संबधित है इसका निपटारा Authorized officers”(अधिकृत अधिकारी) के द्वारा किया जाता है । इन मामलों में विशेष न्यायालय हर राज्य सरकार द्वारा चिन्हित/बनाए गए हैं ।
क्योंकि यह मामले कानून में आपराधिक प्रकृति के माने जाते हैं और सिविल न्यायालय को इन मामलों में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है । इन मामलों में अपील हाई कोर्ट और फिर सूप्रीम कोर्ट में की जाती है ।
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बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Un-authorized use of Electricity) विवाद
बिजली के अनधिकृत/अप्राधिकृत उपयोग (Un-authorized use of Electricity) के मामले भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के अंतर्गत आते हैं ऐसे मामले में विवादों का निपटारा राज्य सरकारों द्वारा नामित Assessing officers” (निर्धारण/मूल्यांकन अधिकारी) द्वारा किया जाता है ।
इन मामलों में अपील भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 127 के तहत राज्य सरकार द्वारा नामित अपील प्राधिकारी के समक्ष की जाती है ।
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(3) बिजली खरीद समझोते संबन्धित विवाद (Power Purchage Agreement Dispute)
आपको यह ज्ञात होगा की बिजली बनाने से लेकर आपके घर में पहुंचने तक अलग – अलग तरह की कंपनियाँ भूमिका निभाती है । यह अलग – अलग कंपनियाँ एग्रीमंट (समझोते)/अनुबंध के अनुसार एक दूसरे से बिजली खरीदती हैं और अगर उनके उस एग्रीमंट या कांट्रैक्ट से संबन्धित कोई विवाद होता है उसको सुलझाने के लिए विद्युत अधिनियम की धारा 158 & 79(1)f /86(1)(f) के अनुसार Contract Enforcement Energy Arbitration का रास्ता है ।
इन विवादों को सुलझाने के लिए स्वतंत्र विद्युत नियामक आयोग (राज्य विद्युत नियामक आयोग या केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) मध्यस्थ (arbitrator) की नियुक्ति करते हैं या खुद ही ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ (arbitrator) बन जाते हैं ।
(4) बिजली उपभोक्ता की सभी शिकायतों/विवाद के निपटारे हेतू
बिजली उपभोक्ता चाहे वह आम नागरिक हो या फिर औद्योगिक उपभोक्ता हो , वह अपने बिजली सेवाओं से संबन्धित किसी भी शिकायत या विवाद के लिए बिजली उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम /CGRF(Consumer Grievance Redressal Forum) में जा सकते हैं ।
हर राज्य में बिजली संबन्धित शिकायतों के निपटारे के लिए उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम/CGRF का होना अनिवार्य है । अगर आप CGRF के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो अपील विद्युत लोकपाल (Electricity Ombudsman) के समक्ष करनी होती है ।
(5) बिजली सेवाओं से संबन्धित विवाद (Consumer Court )
जैसा की हमने ऊपर बताया है कि बिजली उपभोक्ता के सभी शिकायतों के निपटारे के जली उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम होती हैं । मगर विद्युत अधिनियम के तहत एक उपभोक्ता होने के नाते आपके पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ( Consumer Protection Act) 2019 के तहत यह भी अधिकार है कि आप अपनी शिकायत सामान्य उपभोक्ता अदालत में भी कर सकते हैं ।
परंतु सभी बिजली संबन्धित मामलों उपभोक्ता अदालत में नहीं जाया जा सकता क्योंकि उपभोक्ता की परिभाषा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और विद्युत अधिनयम के तहत अलग – अलग है । जैसे कि विद्युत अधिनियम के तहत जो भी चाहे वह आम नागरिक हो या कोई बड़ी औद्योगिक कंपनी अगर वह बिजली का उपयोग कर रहा है तो वह विद्युत अधिनयम की नजर से उपभोक्ता है ।
जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ( Consumer Protection Act) के तहत औद्योगिक इकाइयां उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती । इसलिए बिजली से संबन्धित सभी शिकायतों के निपटारों के लिए CGRF का चैनल सही रहता है ।
(6) आपसी सहमति (Consent Decision )से विद्युत विवाद के निपटारे के लिए :
अगर आपका कोई भी विद्युत विवाद चल रहा है तो स्थायी लोक अदालत उसको सुलझाने का एक बहुत सशक्त साधन है । यहाँ लिया गया निर्णय दोनों पक्षों की सहमति के ऊपर लिया जाता है इसलिए लोक अदालत में लिया गया निर्णय अंतिम होता है और कोई भी पक्ष बाद में लोक अदालत में लिए गए निर्णय के खिलाफ कहीं भी अपील नहीं कर सकता ।
(7) बिजली के नए कनैक्शन (Electricity New Connection) से संबन्धित विवाद :
अगर आपने कोई बिजली के नये कनैक्शन के लिए आवेदन किया है और आपको बिना कारण से बिजली के नये बिजली के कनैक्शन को देने में देरी की जा रही है तो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 43 के तहत आपके अधिकार है की आप सीधा विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपील कर सकते हैं और अपनी समस्या को सुलझा सकते हैं क्योंकि बिजली पाना हर नागरिक का विद्युत अधिकार है ।
(8) विद्युत आघात (Electrocution) विवाद :
अगर बिजली के करंट लगने की दुर्घटना की वजह से किसी की मृत्यु होती है तो ये मामला सीधा हमारे संवैधानिक “जीवन के अधिकार” से जुड़ा होता है । इन मामलों में त्वरित अन्तरिम राहत लेने के लिए ‘कठोर दायित्व’ सिद्धांत (Strict Liability Principle) के तहत सीधा राज्य /केंद्रीय मानवाधिकार आयोग में जाया जा सकता है ।
(9) सौर ऊर्जा क्षेत्र में विवाद के लिए :
सौर ऊर्जा क्षेत्र में विवादों को सुलझाने के लिए विवाद समाधान समिति Dispute Resolution Committee (डीआरसी) गठित की गई है. यह समिति, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जैसे सौर ऊर्जा से जुड़े प्रोजेक्ट्स की अंतिम तारीख आगे बढ़ाना जैसे विवादों को निपटाने के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बनाई है ।
(10) पर्यावरण संबन्धित विवाद के लिए :
जब भी कोई पावर प्रोजेक्ट लगाया जाता है और उसमें कोई पर्यावरण (Air,Water,Soil,Forest) संबन्धित विवाद आते हैं तो उनका निपटारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) /National Green Tribunal द्वारा किया जाता है ।
NGT द्वारा दिये गए आदेश/निर्णय/अधिनिर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।
NGT पर्यावरण से संबंधित 7 कानूनों के तहत नागरिक मामलों की सुनवाई कर सकता है:
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- जैव-विविधता अधिनियम, 2002
(11) पावर कंपनियों के प्रतिस्पर्द्धा संबन्धित विवाद :
अगर पावर कंपीनियों के बीच कोई प्रतिस्पर्द्धा का विवाद है या 2 या 2 से ज्यादा बिजली कंपनियों का विलय या अधिग्रहण हो रहा है तो ऐसे मामलों से जो सांविधिक निकाय निपटता है वो है भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India)।
(12) राज्य सरकार द्वारा बनाये गए विद्युत नियम या विनियम संबन्धित विवाद :
अगर कोई राज्य/केंद्र सरकार या राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाये गए किसी भी विद्युत नियम या विनियम को चुनौती देना चाहता है तो उसे सीधा उच्च न्यायलय (High Court) में चुनौती दी सकती है । विद्युत नियम या विनियम को चुनौती वाले मामलों में सुनवाई उच्च न्यायलय (High Court) में ही होती है ।
(13) अंतरराज्यीय जल विवाद :
अगर दो राज्यों के बीच पावर प्लांट की पावर या जल वितरण से संबन्धित विवाद है तो इसका निपटारे के अंतरराज्यीय जल विवाद न्यायाधिकरण (Water Disputes Tribunal) संस्था है जो ऐसे मामलों का निपटारा अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम (inter state water dispute act in hindi), 1956 (IRWD अधिनियम) के तहत किया जाता है ।
(14) भूमि अधिग्रहण संबन्धित विवाद :
पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए के लिए भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होती है । भूमि अधिग्रहण के मामले उपर दिये किसी भी चैनल में नहीं जाते ।भूमि अधिग्रहण में विवाद होता है तो उसके लिए 2 तरह के चैनल है :
- अगर भूमि अधिग्रहण निजी कंपनी द्वारा किया जाना है तो ऐसे मामले भू-राजस्व न्यायालय (land revenue court) में जाते हैं । पहले मामला सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट(SDM) कोर्ट में जाता है उसके विरुद्ध अपील जिलाधिकारी के पास फिर राजस्व बोर्ड (Board of Revenue) के पास जाती है ।
- अगर भूमि अधिग्रहण सरकार द्वारा किया जाना है तो कार्यवाही भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत किया जाता है । इसमें मामला सीधा कलेक्टर के पास जाता है और अपील में Land Acquisition and Rehabilitation and Resettlement Committee के पास जाता है ।
(15) मार्ग – अधिकार (Right of Way) विवाद :
(1) ट्रांसमिशन लाइन बिछाते समय किसी के द्वारा बाधा पैदा की जाती है तो उसका निपटारा जिला अधिकारी (District Magistrate ) द्वारा किया जाता है । मार्ग – अधिकार (Right of Way) के मामले में अगर मुआवज़ा भी जुड़ा है तो मामले का निपटारा फिर जिला न्यायधीश ( District Judge) द्वारा होता है ।
(2)अगर ट्रांसमिशन लाइन बिछाते समय विवाद स्थानीय प्राधिकारी (Local Authority) जैसे नगरपालिका या पंचायत से है तो इसका निपटारा केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण /Central Electricity Authority (CEA) द्वारा किया जाता है और अपील ऊर्जा मंत्रालय के समक्ष की जाती है ।
(3) अगर ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का विवाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के साथ है तो उसका निपटारा स्वतंत्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जाता है ।
निष्कर्ष :
बिजली क्षेत्र से जुड़े विवाद किसी भी उपभोक्ता, कंपनी या सरकार के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। चाहे नियामक आयोग हो, उपभोक्ता फोरम, लोक अदालतें या फिर मध्यस्थता, सही मंच का चुनाव कर आप अपने विवाद का उचित और निष्पक्ष समाधान पा सकते हैं। ज़रूरी यह है कि आप पावर सेक्टर विवादों के समाधान के प्रमुख चैनल बारे में जागरूक रहें। जल्दबाजी में किसी भी निष्कर्ष पर न पहुंचें, बल्कि सही प्रक्रिया अपनाकर समाधान की ओर बढ़ें।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न )
पावर सेक्टर में विवादों के समाधान के लिए प्रमुख चैनल कौन-कौन से हैं?
पावर सेक्टर विवादों के समाधान के लिए कई प्रमुख चैनल उपलब्ध हैं, जैसे कि विद्युत नियामक आयोग (CERC और SERC), उपभोक्ता फोरम, लोक अदालतें, मध्यस्थता और समझौता तंत्र, तथा न्यायालय (सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट)।
अगर मेरा बिजली बिल गलत है, तो मुझे शिकायत कहां करनी चाहिए?
सबसे पहले संबंधित बिजली वितरण कंपनी के उपभोक्ता सेवा केंद्र में शिकायत दर्ज करें। यदि समाधान न मिले, तो विद्युत नियामक आयोग या उपभोक्ता फोरम का रुख कर सकते हैं।
क्या मैं बिजली कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर सकता हूं?
हां, यदि बिजली कंपनी के खिलाफ आपकी शिकायत उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ी है (जैसे अधिक बिलिंग, खराब सेवा आदि), तो आप उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं।
लोक अदालतें पावर सेक्टर विवादों को कैसे हल करती हैं?
लोक अदालतें त्वरित और कम खर्चीला समाधान प्रदान करती हैं। यहां दोनों पक्षों की सहमति से आपसी समझौते के आधार पर विवादों का निपटारा किया जाता है।
क्या बिजली से जुड़े किसी भी विवाद के लिए सीधे कोर्ट जा सकते हैं?
हीं, पहले वैकल्पिक समाधान चैनलों (जैसे नियामक आयोग, उपभोक्ता फोरम आदि) का उपयोग करना चाहिए। यदि वहां से समाधान नहीं मिलता, तो आप अदालत का सहारा ले सकते हैं।
बिजली आपूर्ति से संबंधित विवादों के लिए कौन-सा सबसे प्रभावी समाधान चैनल है?
यह विवाद के प्रकार पर निर्भर करता है। छोटे उपभोक्ता मामलों के लिए उपभोक्ता फोरम, बिलिंग और टैरिफ विवादों के लिए विद्युत नियामक आयोग, और बड़े अनुबंध संबंधी मामलों के लिए मध्यस्थता या न्यायालय उपयुक्त होते हैं।
अगर मेरे इलाके में बार-बार बिजली कटौती होती है, तो मैं कहां शिकायत कर सकता हूं?
पहले बिजली कंपनी के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करें। यदि समस्या बनी रहती है, तो राज्य विद्युत नियामक आयोग (SERC) में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
क्या नियामक आयोग का निर्णय अंतिम होता है?
नहीं, यदि किसी पक्ष को विद्युत नियामक आयोग का फैसला स्वीकार नहीं है, तो वह अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) या उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।