हमारे घरों के जो बिजली के बिल आते हैं उनमें विद्युत खपत को kWh में दर्शाया जाता है । परंतु बड़े उपभोक्ताओं जैसे कि उद्योग, फैक्ट्रियां और उच्च लोड वाले व्यावसायिक केंद्र के बिजली के बिल में विद्युत खपत को दर्शाने के लिए kVAh का प्रयोग होता है । इस लेख में हम आज यही चर्चा करेंगे कि क्यों बड़े विद्युत लोड/भार के उपभोक्ताओं की बिजली की खपत kWh में न माप कर kVAh में मापी जाती है । सारी जानकारी को हम आसान भाषा में समझने के प्रयत्न करेंगें और जानेगें kWh और kVAh में अंतर क्या है । और साथ में यह भी जानेंगे कि कैसे यह जानकारी आपका बिजली बिल कम करने में सहायता कर सकती है ।
पिछले लेख में हमने जाना था कि बिजली बिल में kWh क्या और क्यों विद्युत की खपत को मापने के लिए इसका उपयोग किया जाता है । अगर आपने वो लेख नहीं पढ़ा है तो नीचे दी गयी फोटो पर क्लिक कर पहले उसको पढ़ लें ताकि इस लेख को समझने में आपको कोई परेशानी न हो ।
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परंतु यह भी सत्य है कि बड़े उपभोक्ता जैसे कि उद्योग, फैक्ट्रियां और उच्च लोड वाले व्यावसायिक केंद्र की बिजली की खपत को kWh में ना माप कर kVAh में मापा जाता है और उनको बिजली के बिल भी kVAh पर ही जारी किए जाते हैं । आइये जानते हैं कि kWh और kVAh में अंतर क्या है और उच्च लोड वाले उपभोक्ताओं को kVAh पर बिजली के बिल क्यों दिये जाते हैं ?
विद्युत पावर दो तरह की ऊर्जा या घटकों से मिल कर बनी होती है वास्तविक/सक्रिय पावर (Active power ) इसको kWh में मापते हैं और प्रतिक्रिशील /रिएक्टिव पावर (Reactive Power ) जिसको kVArh में मापते हैं। इन दोनों से मिल कर जो कुल विद्युत पावर बनती है उसको स्पष्ट पावर (Apparent Power) कहते हैं और इसको kVAh में मापा जाता है ।
यानि kVAh = kWh + kVArh
kWh और kVArh में क्या अंतर होता है ?
जब किसी बिजली से चलने वाले उपकरण को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा दी जाती है तो वह उपकरण जितनी ऊर्जा का उपयोग वास्तव में कार्य करने के लिए उपयोग कर पता है उसको वास्तविक/सक्रिय पावर (Active power ) कहते हैं और इसको मापने की इकाई kWh है।
परंतु जितनी ऊर्जा किसी उपकरण को दी गयी है वह पूरी तरह से उस ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाता, कुछ ऊर्जा उपकरण के अंदर रह जाती है जिसका कोई सार्थक उपयोग उस उपकरण के लिये नहीं रह जाता उसको प्रतिक्रिशील /रिएक्टिव पावर (Reactive Power ) कहते हैं और इसको मापने की इकाई kVArh है।
उदाहरण:
तो एक तरह से कहा जा सकता है कि प्रतिक्रिशील /रिएक्टिव पावर (Reactive Power ) ऊर्जा का वह भाग है जो व्यर्थ चला जाता है । उदाहरण के लिये इसको ऐसे समझें : आप एक कॉफी (coffee) बनाने की मशीन से जब कॉफी बना कर अपने गिलास में कॉफी डालते हैं तो गिलास में ऊपर कॉफी के साथ हमेशा झाग भी आती है ।
तो आपको दो चीज़े मिलीं एक तो कॉफी जो असल में आपको चाहिए थी दूसरी कॉफी की झाग जो न तो आपको चाहिए थी ना ही वह आपके किसी उपयोग की है । इसी तरह से जब किसी बिजली से चलने वाले उपकरण को ऊर्जा दी जाती है तो जितनी ऊर्जा का वह उपयोग वास्तव में चलने के लिये कर पता है वह इस उदाहरण में कॉफी है और जो ऊर्जा का थोड़ा सा भाग व्यर्थ हो जाता है वह सिर्फ झाग है जिसका कोई सार्थक उपयोग नहीं है ।
क्यों उच्च लोड वाले उपभोक्ताओं की बिजली खपत kVAh में मापी जाती है ।
अब तक आप समझ ही गए होंगे कि kWh और kVAh में अंतर क्या होता है । अब प्रश्न उठता है कि क्यों हमारे घरों के बिजली का बिल kWh पर मिलता है और क्यों बड़े विद्युत भार वाले उपभोक्ताओं के बिजली बिल kVAh पर मिलते हैं ।
kVAh में kWh और kVArh समावेशित होते हैं । आपको ध्यान में होगा कि ऊपर हमने समझाया था कि kVArh ऊर्जा का वह भाग है इसका कोई उपयोग नहीं हो पता और व्यर्थ हो जाता है । अगर हम विद्युत से चलने वाले उपकरों के लोड की बात करें तो वह मूलत: 2 तरह के होता है :
- रेजिस्टिव लोड (Resistive Load): सामान्य भाषा में कहा जाए तो ऐसे विद्युत उपकरण जिसमें घूमने वाले भाग या कुंडल (Coil) नहीं होते समान्यता रेजिस्टिव लोड कहते हैं । जैसे कि बल्ब , हीटर, टोस्टर, ओवन, गीज़र इत्यादि। ऐसे उपकरण में केवल वास्तविक/सक्रिय पावर (kWh) का उपयोग होता है और प्रतिक्रिशील /रिएक्टिव पावर (kVArh ) नहीं होता। हमारे घरों में ज्यादा कर बिजली उपकरण रेजिस्टिव लोड के होते हैं इसलिए घरों के बिजली के बिल kWh में ही दिये जाते है जिनसे विद्युत कंपनियों को कोई नुकसान नहीं होता।
- इंडक्टिव लोड(Inductive Load) : दूसरी तरफ वह विद्युत उपकरण जिनमें घूमने वाले उपकरण जैसे मोटर्स (Motors) या कुंडल (Coil) वाले भाग होते हैं उनको इंडक्टिव लोड कहते हैं और इन तरह के लोड में kWh के साथ -साथ kVArh (रिएक्टिव पावर ) का अच्छा ख़ासा भाग रहता है । इसलिए जीतने भी बड़े उपभोक्ता जैसे उद्योग वहाँ इंडक्टिव लोड ज्यादा होता है इसलिए उनकी विद्युत खपत को मापने के लिए kVAh का उपयोग होता है क्योंकि kVAh में ऊर्जा के दोनों भाग kWh+ kVArh का समावेश होता है और kVAh के उपयोग से उनकी सही विद्युत खपत को जाना जा सकता है ।
एचपीएसईबीएल के टैरिफ के अनुसार वह उपभोक्ता जिनका लोड या डिमांड 21kVA से कम है उनकी बिलिंग kWh में की जाती है और उनको सिंगल पार्ट उपभोक्ता कहा जाता है और दूसरी और वह उपभोक्ता जिनका लोड या डिमांड 21kVA या उससे अधिक होती है उनकी बिलिंग kVAh पर की जाती है और उनको टू पार्ट उपभोक्ता कहा जाता है ।
kWh और kVAh में अंतर की जानकारी कैसे आपकी बिजली बिल कम करने में साहयक हो सकती है ?
अधिक विद्युत भार वाले उपभोक्ता जैसे उद्योगों में ज्यादा कर इंडक्टिव लोड होता है इसलिए उनकी विद्युत खपत मापने के लिए kVAh का उपयोग होता है क्योंकि इंडक्टिव लोड की प्रकृति होती है की वह पूरी दी गयी पावर/ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाता और कुछ भाग रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में व्यर्थ हो जाता है ।
किसी उपकरण द्वारा कितनी दक्षता से ऊर्जा का उपयोग किया जाता है उसको पावर फेक्टर (Power Factor) से दर्शाया जाता है । अगर किसी लोड की पावर फेक्टर वैल्यू 1 है तो वह एक आदर्श स्थिति है जिसका मतलब है उपकरण द्वारा उसको दी गयी पूरी ऊर्जा का उपयोग पूरी दक्षता से किया जा रहा है और वहाँ कोई भी ऊर्जा रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में व्यर्थ नहीं जा रही । परंतु अगर किसी लोड की पावर फेक्टर वैल्यू -1 है तो इसका मतलब है पूरी की पूरी ऊर्जा व्यर्थ जा रही है ।
वहीं अगर दूसरी तरफ पावर जितना ज्यादा ऊर्जा रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में व्यर्थ होगी उतना ही पावर फेक्टर की वैल्यू एक से कम होती जाएगी। और जितना पावर फेक्टर की वैल्यू कम होगी उतना ही आपका बिजली का बिल बढ़ता जाएगा । HPSEBL के नियमानुसार पावर फेक्टर 0.9 से कम नहीं होना चाहिए वरना अलग से जुर्माना लगाया जा सकता है ।
अगर इसको आसान भाषा में समझना हो तो यह मान लीजिये किसी उपकरण मान लीजिये पखे को चलाने के 20 यूनिट बिजली दी गयी मगर 20 में से 5 यूनिट ऊर्जा रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में व्यर्थ हो गयी जिसका मतलब है सिर्फ 15 यूनिट का वास्तव में उपयोग होगा इसलिए आपको 20 यूनिट ऊर्जा पूरी करने के लिए 5 यूनिट और ऊर्जा देनी पड़ेगी । इसलिए जहाँ 20 यूनिट से काम चल पड़ना था उसके लिए 25 यूनिट बिजली का प्रयोग हुआ। जितना ज्यादा ऊर्जा रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में व्यर्थ होगी उतना ही अधिक ऊर्जा उस उपकरण को देने की आवश्यकता पड़ेगी और ज्यादा विद्युत खपत बढ़ेगी ।
पावर फेक्टर से बिजली का बिल कैसे कम किया जा सकता है?
उच्च भार वाले उपभोक्ता को अपने बिजली के बिल में पावर फेक्टर को हमेशा देखना चाहिए अगर उसकी वैल्यू 0.9 से कम जा रही है तो इसका मतलब है रिएक्टिव पावर (kVArh) के रूप में ज्यादा ऊर्जा व्यर्थ हो रही है और और खपत उतना ही अधिक बढ़ेगी । पावर फेक्टर को सही रखने के लिए कैपेसिटर बैंक (Capacitor Bank) या वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव (VFDs) का प्रयोग कर के सही किया जा सकता है । जिससे बिजली के बिल को कम किया जा सकता है ।
निष्कर्ष
तो अब आप समझ गए होंगे कि घरों और बड़े उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में kWh और kVAh में अंतर क्यों होता है। kVAh में वास्तविक (kWh) और रिएक्टिव (kVArh) दोनों प्रकार की ऊर्जा का समावेश होता है, जिससे बिजली की खपत को सही तरीके से मापा जा सकता है। बड़े उपभोक्ता, जैसे उद्योग और फैक्ट्रियां, अधिकतर इंडक्टिव लोड का उपयोग करते हैं, जिसके कारण उनकी खपत kVAh में मापी जाती है।
अगर आप बड़े उपभोक्ता हैं तो पावर फेक्टर को सही बनाए रखना आपके बिजली बिल को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कैपेसिटर बैंक जैसे उपकरणों का सही इस्तेमाल कर के न केवल आप अपने बिजली के बिल को नियंत्रित कर सकते हैं बल्कि ऊर्जा की बर्बादी को भी रोक सकते हैं। सही पावर फेक्टर बनाए रखने से न केवल आपकी लागत घटेगी बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ):
kVAh क्या है, और इसे कैसे मापा जाता है?
kVAh (किलो वोल्ट एम्पीयर घंटे) कुल स्पष्ट ऊर्जा का माप है, जो सक्रिय ऊर्जा (kWh) और प्रतिक्रियाशील ऊर्जा (kVArh) का योग है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है:
kVAh = kWh + kVArh
kWh और kVArh में क्या अंतर है?
kWh: यह वास्तविक ऊर्जा को मापता है, जिसे बिजली के उपकरण द्वारा उपयोग किया जाता है।
kVArh: यह प्रतिक्रियाशील ऊर्जा को मापता है, जो उपकरण द्वारा पूरी तरह उपयोग नहीं की जाती और व्यर्थ हो जाती है।
बड़े उपभोक्ताओं की बिजली खपत kWh की बजाय kVAh में क्यों मापी जाती है?
बड़े उपभोक्ताओं, जैसे कि उद्योग और फैक्ट्रियां, अधिकतर इंडक्टिव लोड का उपयोग करते हैं, जिसमें प्रतिक्रियाशील ऊर्जा (kVArh) का योगदान अधिक होता है। kVAh में वास्तविक और प्रतिक्रियाशील दोनों ऊर्जा शामिल होती हैं, जिससे सही खपत का आकलन संभव होता है।
पावर फैक्टर क्या है, और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
पावर फैक्टर उस दक्षता को दर्शाता है, जिसके साथ उपकरण ऊर्जा का उपयोग करते हैं। इसका मान 1 के करीब होना चाहिए। कम पावर फैक्टर का मतलब है कि अधिक ऊर्जा व्यर्थ हो रही है, जिससे बिजली बिल बढ़ सकता है।
पावर फैक्टर को कैसे सुधार सकते हैं?
पावर फैक्टर को सुधारने के लिए कैपेसिटर बैंक या वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव (VFDs) का उपयोग किया जा सकता है। इससे ऊर्जा की बर्बादी कम होती है और बिजली का बिल भी घटता है।
घरों और उद्योगों के लिए बिजली बिलिंग में क्या अंतर है?
घरों में बिजली की खपत को kWh में मापा जाता है क्योंकि अधिकतर उपकरण रेजिस्टिव लोड होते हैं।
उद्योगों और उच्च भार वाले उपभोक्ताओं की खपत को kVAh में मापा जाता है क्योंकि उनके उपकरण इंडक्टिव लोड पर आधारित होते हैं।
एचपीएसईबीएल के टैरिफ नियमों के अनुसार kVAh बिलिंग कब लागू होती है?
एचपीएसईबीएल के अनुसार, जिन उपभोक्ताओं की डिमांड 21 kVA या उससे अधिक होती है, उनकी बिलिंग kVAh में की जाती है। इसे टू-पार्ट टैरिफ कहा जाता है।