हिमाचल बिजली बोर्ड ने एक चोंकाने वाला फैसला लिया है जिसमें चंबा में पहले बंद किए हुए हाइडल इन्वेस्टिगेशन कार्यालय को फिर से खोलने का निर्णय लिया है। कुछ महीने पहले बिजली बोर्ड ने सरकार के निर्देशों पर पूरे प्रदेश के सभी हाइडल इन्वेस्टिगेशन के कार्यालय बंद कर दिये थे। सरकार द्वारा अभी कुछ दिनों पहले 51 अभियंताओं के पद समाप्त करने और बोर्ड में आउटसोर्स कार्यरत वाहन चालकों की सेवाएँ समाप्त करने का मुद्दा अभी भी गरमाया हुआ है । तो दूसरी तरफ क्यों बिजली बोर्ड ने फिर से बहाल किए बंद किए कार्यालय, आइये जानते हैं ।
बिजली बोर्ड के हाइडल इन्वेस्टिगेशन के कार्यालय हिमाचल में छोटी जल परियोजनाओं के निर्माण संबधि कार्य से जुड़े होते थे जिनको कुछ माह पहले सभी को बंद कर दिया गया था । जानते हैं क्यों अब उन बंद पड़े कार्यालयों में से 2 कार्यालयों को चंबा और तिस्सा में दोबारा खोले गए हैं और उनमें विभिन्न पदों को भी बहाल किया गया है जिसकी आधिकारिक अधिसूचना दिनांक 22.11.2024 को बिजली बोर्ड द्वारा कर दी गयी है ।
बिजली बोर्ड ने चंबा के हाइडल इन्वेस्टिगेशन डिवीजन के कार्यालय को अब प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन डिवीजन नंबर 2 का नाम दिया है। इसके तहत दो उप-मंडल काम करेंगे:
- प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन सब-डिवीजन नंबर 1 (चंबा)
- प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन सब-डिवीजन नंबर 2 (तिस्सा)
दूसरा कार्यालय प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन डिवीजन नंबर 1 का नाम दिया है। इसके तहत भी दो उप-मंडल काम करेंगे:
- प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन सब-डिवीजन नंबर 3
- प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन सब-डिवीजन नंबर 4
क्या है इस बहाली का मकसद?
इन कार्यालयों को खोलने के पीछे मकसद चंबा जिले की छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्यों को जल्दी पूरा करना है । बोर्ड ने सुनिश्चित किया है कि इन प्रोजेक्ट्स की प्रगति पर नियमित रूप से नज़र रखी जाएगी। बिजली बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पुराने बंद कार्यालयों को बहाल करने से जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्यों को जल्द पूरा करना है । साई कोठी और देवी कोठी प्रोजेक्ट जैसे प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करना अब बोर्ड की प्राथमिकता है।
कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स को मिलेगा फायदा ?
इन बहाल किए गए कार्यालयों का फोकस चंबा जल विद्युत परियोजना और अन्य छोटे प्रोजेक्ट्स पर रहेगा। इनमें शामिल हैं:
- साई कोठी-I (15 मेगावाट)
- साई कोठी-II (18 मेगावाट)
- देवी कोठी-I (16 मेगावाट)
- हैल प्रोजेक्ट (18 मेगावाट)
निष्कर्ष :
बिजली बोर्ड में पहले बंद किए गए हाइडल इन्वेस्टिगेशन डिवीजन कार्यालयों में से 2 कार्यालयों को नाम बदल कर चंबा जिले में फिर से खोलने का निर्णय लिया है जिसके पीछे तर्क छोटे जलविधुत परियोजनाओं के निर्माण कार्य को जल्दी पूरा करना है । परंतु मजे की बात है यह है कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में ऐसी कई छोटी -छोटी जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है और नयी परियोजनाओं के निर्माण की अपार संभावनाएं हैं । बिजली बोर्ड के हाइडल इन्वेस्टिगेशन विंग इसी कार्य के लिए बहुत पहले बनाया गया ताकि जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य जल्दी हो सकें। अगर इनकी जरूरत अभी भी है तो सभी कार्यालय पहले आनन-फानन में बंद क्यों किए गए ? इस तरह के सरकार के निर्णय सोचने पर मजबूर कर देते हैं । आपकी क्या राय है ?
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